Go To Mantra

का त॒ उपे॑ति॒र्मन॑सो॒ वरा॑य॒ भुव॑दग्ने॒ शंत॑मा॒ का म॑नी॒षा। को वा॑ य॒ज्ञैः परि॒ दक्षं॑ त आप॒ केन॑ वा ते॒ मन॑सा दाशेम ॥

English Transliteration

kā ta upetir manaso varāya bhuvad agne śaṁtamā kā manīṣā | ko vā yajñaiḥ pari dakṣaṁ ta āpa kena vā te manasā dāśema ||

Mantra Audio
Pad Path

का। ते॒। उप॑ऽइतिः। मन॑सः। वरा॑य। भुव॑त्। अ॒ग्ने॒। शम्ऽत॑मा। का। म॒नी॒षा। कः। वा॒। य॒ज्ञैः। परि॑। दक्ष॑म्। ते॒। आ॒प॒। केन॑। वा॒। ते॒। मन॑सा। दा॒शे॒म॒ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:76» Mantra:1 | Ashtak:1» Adhyay:5» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:13» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब छहत्तरवें सूक्त का आरम्भ किया जाता है। इसके प्रथम मन्त्र में विद्वान् के गुणों का उपदेश किया है ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) शान्ति के देनेवाले विद्वान् मनुष्य ! (ते) तुझ अति श्रेष्ठ विद्वान् की (का) कौन (उपेतिः) सुखों को प्राप्त करनेवाली नीति (मनसः) चित्त की (वराय) श्रेष्ठता के लिये (भुवत्) होती है (का) कौन (शन्तमा) सुख को प्राप्त करनेवाली (मनीषा) बुद्धि होती है (कः) कौन मनुष्य (वा) निश्चय करके (ते) आपके (दक्षम्) बल को (यज्ञैः) पढ़ने-पढ़ाने आदि यज्ञों को करके (परि) सब ओर से (आप) प्राप्त होता है (वा) अथवा हम लोग (केन) किस प्रकार के (मनसा) मन से (ते) आपके लिये क्या (दाशेम) देवें ॥ १ ॥
Connotation: - मनुष्यों को परमेश्वर और विद्वान् से ऐसी प्रार्थना करनी चाहिये कि हे परमात्मन् वा विद्वान् पुरुष ! आप कृपा करके हमारी शुद्धि के लिये श्रेष्ठ कर्म, श्रेष्ठ बुद्धि और श्रेष्ठ बल को दीजिये, जिससे हम लोग आपको जान और प्राप्त होके सुखी हों ॥ १ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे अग्ने ! ते तव का उपेतिर्मनसो वराय भुवत्। का शन्तमा मनीषा को वा ते दक्षं यज्ञैः पर्याप वयं केन मनसा किं वा ते दाशेमेति ब्रूहि ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (का) नीतिः (ते) तवानूचानस्य विदुषः (उपेतिः) उपेयन्ते सुखानि यया सा (मनसः) चित्तस्य (वराय) श्रैष्ठ्याय (भुवत्) भवति (अग्ने) शान्तिप्रद (शन्तमा) अतिशयेन सुखप्रापिका (का) (मनीषा) प्रज्ञा (कः) मनुष्यः (वा) पक्षान्तरे (यज्ञैः) अध्ययनाध्यापनादिभिर्यज्ञैः (परि) सर्वतः (दक्षम्) बलम् (ते) तव (आप) प्राप्नोति (केन) कीदृशेन (वा) पक्षान्तरे (ते) तुभ्यम् (मनसा) विज्ञानेन (दाशेम) दद्याम ॥ १ ॥
Connotation: - मनुष्यैः परमेश्वरस्य विदुषो वेदृशी प्रार्थना कार्य्या हे भगवँस्त्वं कृपयाऽस्माकं शुद्धये यद्वरं कर्म वरा बुद्धिः श्रेष्ठं बलमस्ति तानि देहि येन वयं त्वां विज्ञाय प्राप्य वा सुखिनो भवेम ॥ १ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात ईश्वर व विद्वानाच्या गुणाचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वसूक्तार्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी परमेश्वर व विद्वानाची अशी प्रार्थना करावी की हे परमेश्वरा व विद्वान पुरुषा! तू कृपा करून आमच्या पवित्रतेसाठी श्रेष्ठ कर्म, श्रेष्ठ बुद्धी व श्रेष्ठ बल दे. ज्यामुळे आम्ही तुला जाणावे व सुखी व्हावे. ॥ १ ॥