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तमित्सु॑ह॒व्यम॑ङ्गिरः सुदे॒वं स॑हसो यहो। जना॑ आहुः सुब॒र्हिष॑म् ॥

English Transliteration

tam it suhavyam aṅgiraḥ sudevaṁ sahaso yaho | janā āhuḥ subarhiṣam ||

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Pad Path

तम्। इत्। सु॒ऽह॒व्यम्। अ॒ङ्गि॒रः॒। सु॒ऽदे॒वम्। स॒ह॒सः॒। य॒हो॒ इति॑। जनाः॑। आ॒हुः॒। सु॒ऽब॒र्हिष॑म् ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:74» Mantra:5 | Ashtak:1» Adhyay:5» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:13» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह विद्वान् कैसा हो, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे (अङ्गिरः) अङ्गों के रसरूप (सहसः) बल के (यहो) पुत्ररूप विद्वान् मनुष्य ! जिस तुझको बिजुली के तुल्य (सुदेवम्) दिव्यगुणों के देने (सुबर्हिषम्) विज्ञानयुक्त (सुहव्यम्) उत्तम ग्रहण करनेवाले आपको (जनाः) विद्वान् लोग (आहुः) कहते हैं (तम्) उसको (इत्) ही हम लोग सेवन करें ॥ ५ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को चाहिये कि विद्वानों के संग से पदार्थविद्या को जान और सम्यक् परीक्षा करके अन्य मनुष्यों को जनावें ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे अङ्गिरः सहसो यहो विद्वन् ! यं त्वामग्निमिव सुदेवं सुबर्हिषं सुहव्यं जना आहुस्तमिद्वयं सेवेमहि ॥ ५ ॥

Word-Meaning: - (तम्) उक्तम् (इत्) एव (सुहव्यम्) शोभनानि हव्यनानि यस्य तम् (अङ्गिरः) अङ्गानां रसरूप (सुदेवम्) शोभनश्चासौ देवो दिव्यगुणो दाता च तम् (सहसः) प्रशस्तबलयुक्तस्य (यहो) पुत्र (जनाः) विद्वांसः (आहुः) कथयन्ति (सुबर्हिषम्) शोभनानि बर्हींष्यन्तरिक्षोदकविज्ञानानि तस्य तम् ॥ ५ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैर्विद्वत्सु प्रख्यातस्य विदुषः सकाशात् पदार्थविद्यां विदित्वा सम्प्रयुज्याऽन्येभ्यो वेदयितव्या च ॥ ५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. माणसांनी विद्वानांच्या संगतीने पदार्थविद्या जाणून सम्यक परीक्षा करून इतर माणसांना शिकवावे. ॥ ५ ॥