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ऋ॒तस्य॒ हि धे॒नवो॑ वावशा॒नाः स्मदू॑ध्नीः पी॒पय॑न्त॒ द्युभ॑क्ताः। प॒रा॒वतः॑ सुम॒तिं भिक्ष॑माणा॒ वि सिन्ध॑वः स॒मया॑ सस्रु॒रद्रि॑म् ॥

English Transliteration

ṛtasya hi dhenavo vāvaśānāḥ smadūdhnīḥ pīpayanta dyubhaktāḥ | parāvataḥ sumatim bhikṣamāṇā vi sindhavaḥ samayā sasrur adrim ||

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Pad Path

ऋ॒तस्य॑। हि। धे॒नवः॑। वा॒व॒शा॒नाः। स्मत्ऽऊ॑ध्नीः। पी॒पय॑न्त। द्युऽभ॑क्ताः। प॒रा॒ऽवतः॑। सु॒ऽम॒तिम्। भिक्ष॑माणाः। वि। सिन्ध॑वः। स॒मया॑। स॒स्रुः॒। अद्रि॑म् ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:73» Mantra:6 | Ashtak:1» Adhyay:5» Varga:20» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:12» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वान् के गुणों का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! तुम लोग जैसे (वावशानाः) अत्यन्त शोभायमान (स्मदूध्नीः) बहुत दूध देनेवाली (धेनवः) गायें (पीपयन्त) दूध आदि से बढ़ाती हैं, जैसे (द्युभक्ताः) प्रकाश से भिन्न-भिन्न किरणें (परावतः) दूरदेश से (अद्रिम्) मेघ को (समया) समय पर वर्षाते हैं, (सिन्धवः) नदियाँ (सस्रुः) बहती हैं, वैसे तुम (सुमतिम्) उत्तम विज्ञान को (भिक्षमाणाः) जिज्ञासा से (वि) विशेष जानकर अन्य मनुष्य के लिये विद्या और सुशिक्षापूर्वक (ऋतस्य हि) मेघ से उत्पन्न हुए जल के समान सत्य ही की वर्षा करो ॥ ६ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे यज्ञ से सम्यक् प्रकार शोधा हुआ जल शक्ति को बढ़ानेवाला होकर विज्ञान को बढ़ाता है, वैसे ही धर्मात्मा विद्वान् हों ॥ ६ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणा उपदिश्यन्ते ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा वावशानाः स्मदूध्नीर्धेनवः पीपयन्त यथा द्युभक्ताः किरणाः परावतोऽद्रिं मेघं समया वर्षयन्ति सिन्धवो नद्यश्च सस्रुस्तथा यूयं सुमतिं भिक्षमाणाः विजानीतान्येभ्यः ऋतस्य हि वर्षयत ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (ऋतस्य) मेघोत्पन्नजलस्येव सत्यस्य (हि) खलु (धेनवः) गावः (वावशानाः) अत्यन्तं कामयमानाः (स्मदूध्नीः) बहुदुग्धप्रापिकाः। अत्र स्मदुपपदादूधसोऽनङ्। (पीपयन्त) पाययन्ति (द्युभक्ताः) सूर्यादिप्रकाशेन संभागं प्राप्ताः (परावतः) दूरदेशात् (सुमतिम्) शोभनं विज्ञानम् (भिक्षमाणाः) याचमानाः (वि) विशेषे (सिन्धवः) नद्यः (समया) सामीप्ये (सस्रुः) स्रवन्ति (अद्रिम्) मेघम् ॥ ६ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा यज्ञेन संशोधितं जलं शक्तिकारकं भूत्वा विज्ञानजनकं भवति, तथैव हि धार्मिका विद्वांसो भवेयुः ॥ ६ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे यज्ञाने सम्यक रीतीने शुद्ध झालेले जल शक्ती वाढविणारे असून विज्ञानाची वृद्धी करते, तसेच धर्मात्मा विद्वानांनी बनावे. ॥ ६ ॥