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इन्द्र॒मिद्गा॒थिनो॑ बृ॒हदिन्द्र॑म॒र्केभि॑र॒र्किणः॑। इन्द्रं॒ वाणी॑रनूषत॥

English Transliteration

indram id gāthino bṛhad indram arkebhir arkiṇaḥ | indraṁ vāṇīr anūṣata ||

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Pad Path

इन्द्र॑म्। इत्। गा॒थिनः॑। बृ॒हत्। इन्द्र॑म्। अ॒र्केभिः॑। अ॒र्किणः॑। इन्द्र॑म्। वाणीः॑। अ॒नू॒ष॒त॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:7» Mantra:1 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:13» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सातवें सूक्त का आरम्भ है। इस में प्रथम मन्त्र करके इन्द्र शब्द से तीन अर्थों का प्रकाश किया है-

Word-Meaning: - जो (गाथिनः) गान करनेवाले और (अर्किणः) विचारशील विद्वान् हैं, वे (अर्केभिः) सत्कार करने के पदार्थ सत्यभाषण शिल्पविद्या से सिद्ध किये हुए कर्म मन्त्र और विचार से (वाणीः) चारों वेद की वाणियों को प्राप्त होने के लिये (बृहत्) सब से बड़े (इन्द्रम्) परमेश्वर (इन्द्रम्) सूर्य्य और (इन्द्रम्) वायु के गुणों के ज्ञान से (अनूषत) यथावत् स्तुति करें॥१॥
Connotation: - ईश्वर उपदेश करता है कि मनुष्यों को वेदमन्त्रों के विचार से परमेश्वर सूर्य्य और वायु आदि पदार्थों के गुणों को अच्छी प्रकार जानकर सब के सुख के लिये उनसे प्रयत्न के साथ उपकार लेना चाहिये॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेन्द्रशब्देनार्थत्रयमुपदिश्यते।

Anvay:

ये गाथिनोऽर्किणो विद्वांसस्ते अर्केभिर्बृहत् महान्तमिन्द्रं परमेश्वरमिन्द्रं सूर्य्यमिन्द्रं वायुं वाणीश्चेदेवानूषत यथावत्स्तुवन्तु॥१॥

Word-Meaning: - (इन्द्रम्) परमेश्वरम् (इत्) एव (गाथिनः) गानकर्त्तारः (बृहत्) महान्तम्। अत्र सुपां सुलुगित्यमो लुक्। (इन्द्रम्) सूर्य्यम्। (अर्केभिः) अर्चनसाधकैः सत्यभाषणादिभिः शिल्पविद्यासाधकैः कर्मभिर्मन्त्रैश्च। अर्क इति पदनामसु पठितम्। (निघं०४.२) अनेन प्राप्तिसाधनानि गृह्यन्ते। अर्को मन्त्रो भवति यदेनानार्चन्ति। (निरु०५.४) अत्र बहुलं छन्दसीति भिस ऐसादेशाभावः। (अर्किणः) विद्वांसः (इन्द्रम्) महाबलवन्तं वायुम् (वाणीः) वेदचतुष्टयीः (अनूषत) स्तुवन्तु। अत्र लोडर्थे लुङ्। संज्ञापूर्वको विधिरनित्य इति गुणादेशाभावः॥१॥
Connotation: - ईश्वर उपदिशति-मनुष्यैर्वेदमन्त्राणां विचारेणेश्वरसूर्य्यवाय्वादिपदार्थगुणान् सम्यग्विदित्वा सर्वसुखाय प्रयत्नत उपकारो नित्यं ग्राह्य इति॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सातव्या सूक्तात ईश्वराने आपली निर्मिती सिद्ध करण्यासाठी अंतरिक्षात सूर्य व वायू स्थापन केलेले आहेत व तोच एक सर्वशक्तिमान, सर्व दोषांनी रहित व सर्व माणसांमध्ये पूज्य आहे. या व्याख्येने या सातव्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर सहाव्या सूक्ताच्या अर्थाची संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - ईश्वर असा उपदेश करतो की, माणसांनी वेदमंत्रातील विचारांच्या आधारे सूर्य व वायू तसेच परमेश्वर इत्यादी पदार्थांच्या गुणांना चांगल्या प्रकारे जाणून सर्वांच्या सुखासाठी प्रयत्न करून त्यांचा लाभ घ्यावा. ॥ १ ॥