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स॒प्त त्वा॑ ह॒रितो॒ रथे॒ वह॑न्ति देव सूर्य । शो॒चिष्के॑शं विचक्षण ॥

English Transliteration

sapta tvā harito rathe vahanti deva sūrya | śociṣkeśaṁ vicakṣaṇa ||

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Pad Path

स॒प्त । त्वा॒ । ह॒रितः॑ । रथे॑ । वह॑न्ति । दे॒व॒ । सू॒र्य॒ । शो॒चिःके॑शम् । वि॒च॒क्ष॒ण॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:50» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:4» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:9» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (विचक्षण) सबको देखने (देव) सुख देने हारे (सूर्य्य) ज्ञानस्वरूप जगदीश्वर जैसे (सप्त) हरितादि सात (हरितः) जिनसे रसों को हरता है वे किरणें (शोचिष्केशम्) पवित्र दीप्ति वाले सूर्य्यलोक को (रथे) रमणीय सुन्दरस्वरूप रथ में (वहन्ति) प्राप्त करते हैं वैसे (त्वा) आपको गायत्री आदि वेदस्थ सात छन्द प्राप्त कराते हैं ॥८॥
Connotation: - इस मंत्र में वाचकलुप्तोपमालंकार है। हे मनुष्यो ! जैसे रश्मियों के विना सूर्य्य का दर्शन नहीं हो सकता वैसे ही वेदों को ठीक-२ जाने विना परमेश्वर का दर्शन नहीं हो सकता ऐसा निश्चय जानो ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(सप्त) सप्तविधाः किरणाः (त्वा) त्वाम् (हरितः) यैः किरणै रसान् हरति त आदित्यरश्मयः। हरितइत्यादिष्टोपयोजनना०। निघं० १।१५। (रथे) रमणीये लोके (वहन्ति) (देव) दातः (सूर्य्य) ज्ञानस्वरूप ज्ञानप्रापक वा (शोचिष्केशम्) शोचींषि केशा दीप्तयो रश्मयो यस्य तं सूर्य्यलोकम् (विचक्षण) विविधान् दर्शक ॥८॥

Anvay:

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे विचक्षण देव सूर्य जगदीश्वर ! यथा सप्त हरितः शोचिष्केशं रथे वहन्ति तथा त्वा सप्त छन्दांसि प्रापयन्ति ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालंकारः। हे मनुष्या यथा किरणैर्विना सूर्य्यस्य दर्शनं न भवति तथैव वेदाभ्यासमन्तरा परमात्मनो दर्शनं नैव जायत इति बोध्यम् ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जसे किरणांशिवाय सूर्याचे दर्शन होऊ शकत नाही. तसेच वेदांना ठीक ठीक जाणल्याशिवाय परमेश्वराचे दर्शन होऊ शकत नाही, हे निश्चयपूर्वक जाणावे. ॥ ८ ॥