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त॒रणि॑र्वि॒श्वद॑र्शतो ज्योति॒ष्कृद॑सि सूर्य । विश्व॒मा भा॑सि रोच॒नम् ॥

English Transliteration

taraṇir viśvadarśato jyotiṣkṛd asi sūrya | viśvam ā bhāsi rocanam ||

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Pad Path

त॒रणिः॑ । वि॒श्वद॑र्शतः । ज्यो॒तिः॒कृत् । अ॒सि॒ । सू॒र्य॒ । विश्व॑म् । आ । भा॒सि॒ । रो॒च॒नम्॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:50» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:4» Varga:7» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:9» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (सूर्य्य) चराचर के आत्मा ईश्वर ! जिससे (विश्वदर्शतः) विश्व के दिखाने और (तरणिः) शीघ्र सबका आक्रमण करने (ज्योतिष्कृत्) स्वप्रकाश स्वरूप आप ! (रोचनम्) रुचिकारक (विश्वम्) सब जगत् को प्रकाशित करते हैं इसीसे आप स्वप्रकाशस्वरूप हैं ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालंकार है। जैसे सूर्य्य और बिजुली बाहर भीतर रहने वाले सब स्थूल पदार्थों को प्रकाशित करते हैं वैसे ही ईश्वर भी सब वस्तु मात्र को प्रकाशित करता है ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(तरणिः) क्षिप्रतया संप्लविता (विश्वदर्शतः) यो विश्वस्य दर्शयिता (ज्योतिष्कृत्) यो ज्योतिः प्रकाशात्मकैः सूर्यादिलोकं करोति सः (असि) (सूर्य) सर्वप्रकाशक सर्वात्मन् (विश्वम्) सर्वं जगत् (आ) समन्तात् (भासि) प्रकाशयसि (रोचनम्) अभिप्रेतं रुचिकरम् ॥४॥

Anvay:

पुनः स कीदृशइत्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे सूर्य्येश्वर ! यतो विश्वदर्शतस्तरणिर्ज्योतिष्कृत् त्वं रोचनं विश्वमाभासि तस्मात्स्वयं प्रकाशोऽसि ॥४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालंकारः। यथा सूर्य्यविद्युतौ बाह्याभ्यन्तरस्थान्मूर्त्तान् पदार्थान् प्रकाशेतान्तथेश्वरः सर्वमखिलं जगत् प्रकाशयति ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा सूर्य व विद्युत आत बाहेर राहणाऱ्या सर्व स्थूल पदार्थांना प्रकाशित करतात तसेच ईश्वरही सर्व वस्तूंना प्रकाशित करतो. ॥ ४ ॥