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उ॒द्यन्न॒द्य मि॑त्रमह आ॒रोह॒न्नुत्त॑रां॒ दिव॑म् । हृ॒द्रो॒गं मम॑ सूर्य हरि॒माणं॑ च नाशय ॥

English Transliteration

udyann adya mitramaha ārohann uttarāṁ divam | hṛdrogam mama sūrya harimāṇaṁ ca nāśaya ||

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Pad Path

उ॒त्यन् । अ॒द्य । मि॒त्र॒म॒हः॒ । आ॒रोह॑न् । उत्त॑राम् । दिव॑म् । हृ॒त्रो॒गम् । मम॑ । सू॒र्य॒ । ह॒रि॒माण॑म् । च॒ । ना॒श॒य॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:50» Mantra:11 | Ashtak:1» Adhyay:4» Varga:8» Mantra:6 | Mandal:1» Anuvak:9» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (मित्रमहः) मित्रो से सत्कार के योग्य (सूर्य्य) सब ओषधी और रोगनिवारण विद्याओं के जाननेवाले विद्वान् ! आप जैसे (अद्य) आज (उद्यन्) उदय को प्राप्त हुआ वा (उत्तमम्) कारण रूपी (दिवम्) दीप्ति को (आरोहन्) अच्छे प्रकार करता हुआ अन्धकार का निवारण कर दिन को प्रकट करता है वैसे मेरे (हृद्रोगम्) हृदय के रोगों और (हरिमाणम्) हरणशील चोर आदि को (नाशय) नष्ट कीजिये ॥११॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालंकार है। जैसे सूर्य के उदय में अन्धेर और चोरादि निवृत्त हो जाते हैं वैसे उत्तम वैद्य की प्राप्ति से कुपथ्य और रोगों का निवारण हो जाता है ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(उद्यन्) उदयं प्राप्नुवन्सन् (अद्य) अस्मिन्वर्त्तमाने दिने (मित्रमहः) यः सर्वमित्रैः पूज्यते तत्सम्बुद्धौ (आरोहन्) समारूढः सन् जगत्यारोहणं कुर्वन्वा (उत्तराम्) कारणरूपाम् (दिवम्) दीप्तिम् (हृद्रोगम्) यो हृदयस्याज्ञानादिज्वरादिरोगस्तम् (मम) मनुष्यादेः (सूर्य) सर्वोषधीरोगनिवारणविद्यावित् (हरिमाणम्) सुखहरणशीलं (च) समुच्चये (नाशय) ॥११॥

Anvay:

पुनः स कीदृशोऽस्तीत्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे मित्रमहः ! सूर्य विद्वंस्त्वं यथाऽद्योद्यन्नुत्तरां दिवमारोहन् सविताऽन्धकारं निवार्य्य दिनं जनयति तथा मम हृद्रोगं हरिमाणं च नाशय ॥११॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालंकारः। यथा सूर्य्योदयेऽन्धकारचोरादयो निवर्त्तन्ते तथा सद्वैद्ये प्राप्ते कृपथ्यरोगा निवर्त्तन्ते ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा सूर्याचा उदय झाल्यानंतर अंधःकार व चोर यांचे निवारण होते तसे उत्तम उत्तम वैद्याच्या प्राप्तीने कुपथ्य व रोगांचे निवारण होते. ॥ ११ ॥