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या द॒स्रा सिन्धु॑मातरा मनो॒तरा॑ रयी॒णाम् । धि॒या दे॒वा व॑सु॒विदा॑ ॥

English Transliteration

yā dasrā sindhumātarā manotarā rayīṇām | dhiyā devā vasuvidā ||

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Pad Path

या । द॒स्रा । सिन्धु॑मातरा । म॒नो॒तरा॑ । र॒यी॒णाम् । धि॒या । दे॒वा । व॒सु॒विदा॑॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:46» Mantra:2 | Ashtak:1» Adhyay:3» Varga:33» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:9» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे अश्वि कैसे हैं इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे मनुष्य लोगो ! तुम लोग (या) जो (दस्रा) दुःखों को नष्ट (सिंधुमातरा) समुद्र नदियों के प्रमाण कारक (मनोतरा) मन के समान पार करने हारे (धिया) कर्म से (रयीणाम्) धनों के (देवा) देने हारे (वसुविदा) बहुत धन को प्राप्त कराने वाले अग्नि और जल के तुल्य वर्त्तमान अध्यापक और उपदेशक हैं उनकी सेवा करो ॥२॥
Connotation: - जैसे कारीगर लोगों ने ठीक-२ युक्त किये हुए अग्नि और जल के यानों को मन के वेग के समान तुरन्त पहुँचाने वा बहुत धन को प्राप्त कराने वाले हैं उसी प्रकार अध्यापक और उपदेशकों को होना चाहिये ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(या) यौ (दस्रा) दुःखोपक्षेतारौ (सिंधुमातरा) सिंधूनां समुद्राणां नदीनां वा मातरौ यद्वा सिंधवो मातरो ययोः (मनोतरा) अतिशयितं मनो ययोस्तौ (रयीणाम्) धनानाम् (धिया) कर्मणा (देवा) दिव्यगुणप्रापकौ (वसुविदा) बहुधनप्रदौ। अत्र सर्वत्र सुपां सुलुग् इत्याकारादेशः ॥२॥

Anvay:

पुनस्तौ कीदृशावित्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे मनुष्या ! यूयं या दस्रा सिंधुमातरा मनोतरा धिया रयीणां देवा वसुविदावग्निजलवद्वर्त्तमानावध्यापकोपदेशकौ स्तस्तौ सेवध्वम् ॥२॥
Connotation: - यथा शिल्पिभिर्यथावत्संप्रयोजिते अग्निजले यानानां मनोवेगवत्सद्यो गमयितृणी बहुधनप्रापके वर्त्तेते तथाऽध्यापकोपदेशकौ भवेतामिति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जसे कारागीर योग्यरीत्या युक्त केलेल्या अग्नी व जलाच्या यानांना मनाच्या वेगाप्रमाणे ताबडतोब पोचविण्यासाठी व पुष्कळ धन प्राप्त करविण्यासाठी सुसज्ज करतात. त्याच प्रकारे अध्यापक व उपदेशकांनी बनले पाहिजे. ॥ २ ॥