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आ तत्ते॑ दस्र मन्तुमः॒ पूष॒न्नवो॑ वृणीमहे । येन॑ पि॒तॄनचो॑दयः ॥

English Transliteration

ā tat te dasra mantumaḥ pūṣann avo vṛṇīmahe | yena pitṝn acodayaḥ ||

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Pad Path

आ । तत् । ते॒ । द॒स्र॒ । म॒न्तु॒मः॒ । पू॒ष॒न् । अवः॑ । वृ॒णी॒म॒हे॒ । येन॑ । पि॒तॄन् । अचो॑दयः॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:42» Mantra:5 | Ashtak:1» Adhyay:3» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:8» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह न्यायाधीश कैसा होवे, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (दस्र) दुष्टों को नाश करने (मन्तुमः) उत्तम ज्ञानयुक्त (पूषन्) सर्वथा पुष्टि करनेवाले विद्वान् ! आप (येन) जिस रक्षादि से (पितॄन्) अवस्था वा ज्ञान से वृद्धों को (अचोदयः) प्रेरणा करो (तत्) उस (ते) आपके (अवः) रक्षादि को हम लोग (आवृणीमहे) सर्वथा स्वीकार करें ॥५॥
Connotation: - जैसे प्रेम प्रीति के साथ सेचन करने से उत्पन्न करने वा पढ़ानेवाले ज्ञान वा अवस्था से वृद्धों को तृप्त करें वैसे ही सब प्रजाओं के सुख के लिये दुष्ट मनुष्यों को दण्ड दे के धार्मिकों को सदा सुखी रक्खें ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(आ) समन्तात् (तत्) पूर्वोक्तं वक्ष्यमाणं च (ते) तव (दस्र) दुष्टानामुपक्षेप्तः (मन्तुमः) मन्तुः प्रशस्तं ज्ञानं विद्यते यस्य तत्संबुद्धौ (पूषन्) सर्वथा पुष्टिकारक (अवः) रक्षणादिकम् (वृणीमहे) स्वीकुर्वीमहि (येन) (पितॄन्) वयोज्ञानवृद्धान् (अचोदयः) धर्मे प्रेरयेः। अत्र लिङर्थे लङ् ॥५॥

Anvay:

पुनः स न्यायाधीशः कीदृशो भवेदित्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे दस्र ! मन्तुमः पूषन् विद्वँस्त्वं येन पितॄनचोदयस्तत् ते तवाऽवो रक्षणादिकं वयं वृणीमहे ॥५॥
Connotation: - मनुष्या यथा प्रेमप्रीत्या सेवनेन जनकादीनध्यापकादीन् ज्ञानवयोवृद्धांश्च प्रीणयेयुस्तथैव सर्वासां प्रजानां सुखाय दुष्टान् दण्डयित्वा श्रेष्ठान्सुखयेयुः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे ज्ञानवृद्ध व वयोवृद्ध पिता, अध्यापक यांना प्रेमाने तृप्त केले जाते तसे सर्व प्रजेच्या सुखासाठी दुष्ट माणसांना दंड देऊन धार्मिक लोकांना सदैव सुखी ठेवावे. ॥ ५ ॥