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इन्द्रा या॑हि धि॒येषि॒तो विप्र॑जूतः सु॒ताव॑तः। उप॒ ब्रह्मा॑णि वा॒घतः॑॥

English Transliteration

indrā yāhi dhiyeṣito viprajūtaḥ sutāvataḥ | upa brahmāṇi vāghataḥ ||

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Pad Path

इन्द्र॑। आ। या॒हि॒। धि॒या। इ॒षि॒तः। विप्र॑ऽजूतः। सु॒तऽव॑तः। उप॑। ब्रह्मा॑णि। वा॒घतः॑॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:3» Mantra:5 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:5» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

ईश्वर ने अगले मन्त्र में अपना प्रकाश किया है-

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमेश्वर ! (धिया) निरन्तर ज्ञानयुक्त बुद्धि वा उत्तम कर्म से (इषितः) प्राप्त होने और (विप्रजूतः) बुद्धिमान् विद्वान् लोगों के जानने योग्य आप (सुतावतः) पदार्थविद्या के जाननेवाले (ब्रह्माणि) ब्राह्मण अर्थात् जिन्होंने वेदों का अर्थ जाना है, तथा (वाघतः) जो यज्ञविद्या के अनुष्ठान से सुख उत्पन्न करनेवाले हैं, इन सबों को कृपा से (उपायाहि) प्राप्त हूजिये॥५॥
Connotation: - सब मनुष्यों को उचित है कि जो सब कार्य्यजगत् की उत्पत्ति करने में आदिकारण परमेश्वर है, उसको शुद्ध बुद्धि विज्ञान से साक्षात् करना चाहिये॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेन्द्रशब्देनेश्वर उपदिश्यते।

Anvay:

हे इन्द्र ! धियेषितः विप्रजूतस्त्वं सुतावतो ब्रह्माणि वाघतो विदुष उपायाहि॥५॥

Word-Meaning: - (इन्द्र) परमेश्वर ! (आयाहि) प्राप्तो भव (धिया) प्रकृष्टज्ञानयुक्त्या बुद्ध्योत्तमकर्मणा वा (इषितः) प्रापयितव्यः (विप्रजूतः) विप्रैर्मेधाविभिर्विद्वद्भिर्ज्ञातः। विप्र इति मेधाविनामसु पठितम्। (निघं०३.१५) (सुतावतः) प्राप्तपदार्थविद्यान् (उप) सामीप्ये (ब्रह्माणि) विज्ञातवेदार्थान् ब्राह्मणान्। ब्रह्म वै ब्राह्मणः। (श०ब्रा०१३.१.५.३) (वाघतः) यज्ञविद्यानुष्ठानेन सुखसम्पादिन ऋत्विजः। वाघत इति ऋत्विङ्नामसु पठितम्। (निघं०३.१८)॥५॥
Connotation: - मनुष्यैर्मूलकारणस्येश्वरस्य संस्कृतया बुद्ध्या विज्ञानतः साक्षात्प्राप्तिः कार्य्या। नैवं विनाऽयं केनचिन्मनुष्येण प्राप्तुं शक्य इति॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - संपूर्ण कार्यजगताची उत्पत्ती करणारा आदिकारण परमेश्वर आहे तेव्हा माणसांनी शुद्ध बुद्धी विज्ञानाने त्याचा साक्षात्कार केला पाहिजे. ॥ ५ ॥