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स वाजं॑ वि॒श्वच॑र्षणि॒रर्व॑द्भिरस्तु॒ तरु॑ता। विप्रे॑भिरस्तु॒ सनि॑ता॥

English Transliteration

sa vājaṁ viśvacarṣaṇir arvadbhir astu tarutā | viprebhir astu sanitā ||

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Pad Path

सः। वाज॑म्। वि॒श्वऽच॑र्षणिः। अर्व॑त्ऽभिः। अ॒स्तु॒। तरु॑ता। विप्रे॑भिः। अ॒स्तु॒। सनि॑ता॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:27» Mantra:9 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:23» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:6» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥

Word-Meaning: - जो (विश्वचर्षणिः) जिसके सब मनुष्य रक्षा के योग्य (तरुता) शत्रुनिमित्तक दुःखों के पार पहुँचने-पहुँचानेवाला (सनिता) ज्ञान और सुख का विभाग करके देनेहारा सेनापति हमारी सेना में (विप्रेभिः) बुद्धिचातुर्ययुक्त पुरुष (अर्वद्भिः) घोड़े आदि से सहित हो, हमको (वाजम्) युद्ध में विजय की प्राप्ति और शत्रुओं का पराजय करने हारा सेनापति है, वही हमारे बीच में सेना स्वामी (अस्तु) हो॥९॥
Connotation: - जो मनुष्यों को सब दुःखरूपी सागर से पार करने और युद्ध में विजय देनेवाला विद्वान् है, वही अच्छे विद्वानों के समागम से सेना का अधिपति होने योग्य है॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते॥

Anvay:

यो विश्वचर्षणिस्तरुता सेनाध्यक्षोऽस्माकं सेनायां विप्रेभिर्नरैरर्वद्भिरश्वादिभिः सहितः सन्नो वाजं विजयप्रदः शत्रूणां पराजयकृदस्तु भवेत्, स एवास्माकं मध्ये सेनापतिरस्तु॥९॥

Word-Meaning: - (सः) सेनाध्यक्षः (वाजम्) संग्रामम् (विश्वचर्षणिः) विश्वे सर्वे चर्षणयो मनुष्या रक्ष्या यस्य सः। अत्र कृषेरादेश्च चः। (उणा०२.१००) अनेनानि प्रत्यय आदेश्चकारादेशश्च। (अर्वद्भिः) सेनास्थैरश्वादिभिः सेनाङ्गैः। अर्वा इत्यश्वनामसु पठितम्। (निघं०१.१४) (अस्तु) भवतु (तरुता) तर्त्ता तारयिता पारंगमयिता। ग्रसितस्कभितस्तभि० (अष्टा०७.२.३४) अनेनायं निपातितः। (विप्रेभिः) मेधाविभिः सह। अत्र बहुलं छन्दसि इति भिस ऐस् न। (अस्तु) भवतु (सनिता) ज्ञानस्य सुखस्य विभक्ता॥९॥
Connotation: - मनुष्यैर्यः सर्वदुःखेभ्यः पारं गमयिता युद्धे विजयप्रापको युद्धकुशलो धार्मिको विद्वान् भवेत्, स एव नः सेनास्वामी भवतु॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो माणसांना सर्व दुःखसागरातून पार करविणारा व युद्धात विजय प्राप्त करून देणारा, धार्मिक युद्धकुशल विद्वान असतो तो सेनेचा अधिपती होण्यायोग्य असतो. ॥ ९ ॥