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वेद॑ मा॒सो धृ॒तव्र॑तो॒ द्वाद॑श प्र॒जाव॑तः। वेदा॒ य उ॑प॒जाय॑ते॥

English Transliteration

veda māso dhṛtavrato dvādaśa prajāvataḥ | vedā ya upajāyate ||

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Pad Path

वेद॑। मा॒सः। धृ॒तऽव्र॑तः। द्वाद॑श। प्र॒जाऽव॑तः। वेद॑। यः। उ॒प॒ऽजाय॑ते॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:25» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:17» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:6» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह क्या जानता है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥

Word-Meaning: - (यः) जो (धृतव्रतः) सत्य नियम, विद्या और बल को धारण करनेवाला विद्वान् मनुष्य (प्रजावतः) जिनमें नाना प्रकार के संसारी पदार्थ उत्पन्न होते हैं (द्वादश) बारह (मासः) महीनों और जो कि (उपजायते) उनमें अधिक मास अर्थात् तेरहवाँ महीना उत्पन्न होता है, उस को (वेद) जानता है, वह काल के सब अवयवों को जानकर उपकार करनेवाला होता है॥८॥
Connotation: - जैसे परमेश्वर सर्वज्ञ होने से सब लोक वा काल की व्यवस्था को जानता है, वैसे मनुष्यों को सब लोक तथा काल के महिमा की व्यवस्था को जानकर इस को एक क्षण भी व्यर्थ नहीं खोना चाहिये॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स किं जानातीत्युपदिश्यते॥

Anvay:

यो धृतव्रतो मनुष्यः प्रजावतो द्वादश मासान् वेद तथा योऽत्र त्रयोदश मास उपजायते तमपि वेद स सर्वकालावयवान् विदित्वोपकारी भवति॥८॥

Word-Meaning: - (वेद) जानाति (मासः) चैत्रादीन् (धृतव्रतः) धृतं व्रतं सत्यं विद्याबलं येन सः (द्वादश) मासान् (प्रजावतः) बह्व्यः प्रजा उत्पन्ना विद्यन्ते येषु मासेषु तान्। अत्र भूमार्थे मतुप्। (वेद) जानाति। अत्रापि द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (यः) विद्वान् मनुष्यः (उपजायते) यत्किंचिदुत्पद्यते तत्सर्वं त्रयोदशो मासो वा॥८॥
Connotation: - यथा सर्वज्ञत्वात् परमेश्वरः सर्वाधिष्ठानं कालचक्रं विजानाति, तथा लोकानां कालस्य च महिमानं विदित्वा नैव कदाचिदस्यैककणः क्षणोऽपि व्यर्थो नेय इति॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा परमेश्वर सर्वज्ञ असल्यामुळे सर्व गोल व काळाची व्यवस्था जाणतो तसे सर्व माणसांनी सर्व गोल व काळाचा महिमा जाणून एक क्षणही व्यर्थ घालवता कामा नये. ॥ ८ ॥