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ह॒स्का॒राद्वि॒द्युत॒स्पर्यतो॑ जा॒ता अ॑वन्तु नः। म॒रुतो॑ मृळयन्तु नः॥

English Transliteration

haskārād vidyutas pary ato jātā avantu naḥ | maruto mṛḻayantu naḥ ||

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Pad Path

ह॒स्का॒रात्। वि॒ऽद्युतः॑। परि॑। अतः॑। जा॒ताः। अ॒व॒न्तु॒। नः॒। म॒रुतः॑। मृ॒ळ॒य॒न्तु॒। नः॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:23» Mantra:12 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:10» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे पवन किस प्रकार के हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - हम लोग जिस कारण (हस्कारात्) अति प्रकाश से (जाताः) प्रकट हुई (विद्युतः) जो कि चपलता के साथ प्रकाशित होती हैं, वे बिजली (नः) हम लोगों के सुखों को (अवन्तु) प्राप्त करती हैं। जिससे उन को (परि) सब प्रकार से साधते और जिससे (मरुतः) पवन (नः) हम लोगों को (मृळयन्तु) सुखयुक्त करते हैं (अतः) इससे उनको भी शिल्प आदि कार्यों में (परि) अच्छे प्रकार से साधें॥१२॥
Connotation: - मनुष्य लोग जब पहिले वायु फिर बिजुली के अनन्तर जल पृथिवी और ओषधी की विद्या को जानते हैं, तब अच्छे प्रकार सुखों को प्राप्त होते हैं॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः कीदृशा मरुत इत्युपदिश्यते।

Anvay:

वयं यतो हस्काराज्जाता विद्युतो नोऽस्मान् सुखान्यवन्तु प्रापयन्त्यतस्ताः परितः सर्वतः संसाधयेम। यतो मरुतो नोऽस्मान् मृडयन्तु सुखयन्त्यतस्तानपि कार्येषु सम्प्रयोजयेम॥१२॥

Word-Meaning: - (हस्कारात्) हसनं हस्तत्करोति येन तस्मात् (विद्युतः) विविधतया द्योतयन्ते यास्ताः (परि) सर्वतोभावे (अतः) हेत्वर्थे (जाता) प्रकटत्वं प्राप्ताः (अवन्तु) प्रापयन्ति। अत्र ‘अव’ धातोर्गत्यर्थात् प्राप्त्यर्थो गृह्यते, लडर्थे लोडन्तर्गतो ण्यर्थश्च। (नः) अस्मान् (मरुतः) वायवः (मृळयन्तु) सुखयन्ति। अत्रापि लडर्थे लोट्। (नः) अस्मान्॥१२॥
Connotation: - मनुष्यैर्यदा पूर्वं वायुविद्या ततो विद्युद्विद्या तदनन्तरं जलपृथिव्योषधिविद्याश्चैता विज्ञायन्ते, तदा सम्यक् सुखानि प्राप्यन्त इति॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसे जेव्हा वायू, विद्युत, जल, पृथ्वी व औषधी इत्यादी विद्या जाणतात तेव्हा सम्यक सुख प्राप्त करतात. ॥ १२ ॥