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अ॒भि नो॑ दे॒वीरव॑सा म॒हः शर्म॑णा नृ॒पत्नीः॑। अच्छि॑न्नपत्राः सचन्ताम्॥

English Transliteration

abhi no devīr avasā mahaḥ śarmaṇā nṛpatnīḥ | acchinnapatrāḥ sacantām ||

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Pad Path

अ॒भि। नः॒। दे॒वीः। अव॑सा। म॒हः। शर्म॑णा। नृ॒ऽपत्नीः॑। अच्छि॑न्नऽपत्राः। स॒च॒न्ता॒म्॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:22» Mantra:11 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वानों की स्त्रियाँ भी उक्त कार्य्यों को करें, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में कहा है-

Word-Meaning: - (अच्छिन्नपत्राः) जिन के अविनष्ट कर्मसाधन और (देवीः) (नृपत्नीः) जो क्रियाकुशलता में चतुर विद्वान् पुरुषों की स्त्रियाँ हैं, वे (महः) बड़े (शर्मणा) सुखसम्बन्धी घर (अवसा) रक्षा विद्या में प्रवेश आदि कर्मों के साथ (नः) हम लोगों को (अभिसचन्ताम्) अच्छी प्रकार मिलें॥११॥
Connotation: - जैसी विद्या, गुण, कर्म और स्वभाववाले पुरुष हों, उनकी स्त्री भी वैसे ही होनी ठीक हैं, क्योंकि जैसा तुल्य रूप विद्या गुण कर्म स्वभाववालों को सुख का सम्भव होता है, वैसा अन्य को कभी नहीं हो सकता। इससे स्त्री अपने समान पुरुष वा पुरुष अपने समान स्त्रियों के साथ आपस में प्रसन्न होकर स्वयंवर विधान से विवाह करके सब कर्मों को सिद्ध करें॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वत्स्त्रियोऽप्येतानि कार्य्याणि कुर्य्युरित्युपदिश्यते।

Anvay:

इमा अच्छिन्नपत्रा देवीर्नृपत्नीर्महः शर्म्मणावसा सह नोऽस्मानभिसचन्तां संयुक्ता भवन्तु॥११॥

Word-Meaning: - (अभि) आभिमुख्ये (नः) अस्मान् (देवीः) देवानां विदुषामिमाः स्त्रियो देव्यः। अत्रोभयत्र सुपां सुलुग्० इति पूर्वसवर्णः (अवसा) रक्षाविद्याप्रवेशादिकर्म्मणा सह (महः) महता। अत्र सुपां सुलुग्० इति विभक्तेर्लुक्। (शर्म्मणा) गृहसंबन्धिसुखेन। शर्म्मेति गृहनामसु पठितम्। (निघं०३.४) (नृपत्नीः) याः क्रियाकुशलानां विदुषां नृणां स्वसदृश्यः पत्न्यः (अच्छिन्नपत्राः) अविच्छिन्नानि पत्राणि कर्मसाधनानि यासां ताः। (सचन्ताम्) संयुञ्जन्तु॥११॥
Connotation: - यादृशविद्यागुणस्वभावाः पुरुषास्तेषां तादृशीभिः स्त्रीभिरेव भवितव्यम्। यतस्तुल्यविद्यागुणस्वभावानां सम्बन्धे सुखं सम्भवति नेतरेषाम्। तस्मात्स्वसदृशैः सह स्त्रियः स्वसदृशीभिः स्त्रीभिः सह पुरुषाश्च स्वयंवरविधानेन विवाहं कृत्वा सर्वाणि गृहकार्य्याणि निष्पाद्य सदानन्दितव्यमिति॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे विद्या, गुण, कर्म स्वभाव असणारे पुरुष असतात तशा त्यांच्या स्त्रियाही असाव्यात. कारण तुल्य रूप, विद्या, गुण, कर्म, स्वभाव असणाऱ्यांना सुख लागते. तसे इतरांना लागू शकत नाही. त्यासाठी स्त्रीने आपल्यासारखा पुरुष किंवा पुरुषाने आपल्यासारख्या स्त्रीबरोबर परस्पर प्रसन्नतेने स्वयंवर विधानाने विवाह करून सर्व गृहकृत्ये करावीत. ॥ ११ ॥