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सं वो॒ मदा॑सो अग्म॒तेन्द्रे॑ण च म॒रुत्व॑ता। आ॒दि॒त्येभि॑श्च॒ राज॑भिः॥

English Transliteration

saṁ vo madāso agmatendreṇa ca marutvatā | ādityebhiś ca rājabhiḥ ||

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Pad Path

सम्। वः॒। मदा॑सः। अ॒ग्म॒त॒। इन्द्रे॑ण। च॒। म॒रुत्व॑ता। आ॒दि॒त्येभिः॑। च॒। राज॑ऽभिः॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:20» Mantra:5 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:1» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ये किससे क्या करें, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - हे मेधावि विद्वानो ! तुम लोग जिन (मरुत्वता) जिसके सम्बन्धी पवन हैं, उस (इन्द्रेण) बिजुली वा (राजभिः) प्रकाशमान (आदित्येभिः) सूर्य्य की किरणों के साथ युक्त करते हो, इससे (मदासः) विद्या के आनन्द (वः) तुम लोगों को (अग्मत) प्राप्त होते हैं, इससे तुम लोग उनसे ऐश्वर्य्यवाले हूजिये॥५॥
Connotation: - जो विद्वान् लोग जब वायु और विद्युत् का आलम्ब लेकर सूर्य्य की किरणों के समान आग्नेयादि अस्त्र, असि आदि शस्त्र और विमान आदि यानों को सिद्ध करते हैं, तब वे शत्रुओं को जीत राजा होकर सुखी होते हैं॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरिमे केन किं कुर्य्युरित्युपदिश्यते।

Anvay:

हे मेधाविनो येन मरुत्वतेन्द्रेण राजभिरादित्येभिश्च सह मदसो वो युष्मानग्मत प्राप्नुवन्ति भवन्तश्च तैः श्रीमन्तो भवन्तु॥५॥

Word-Meaning: - (सम्) सम्यगर्थे (वः) युष्मान् मेधाविनः (मदासः) विद्यानन्दाः। आज्जसेरसुग् इत्यसुक्। (अग्मत) प्राप्नुवन्ति। अत्र लडर्थे लुङ्। मन्त्रे घसह्वरणश० इति च्लेर्लुक्, गमहनजनखन० (अष्टा०६.४.९८) इत्युपधालोपः, समो गम्यृच्छिभ्याम् (अष्टा०१.३.२९) इत्यात्मनेपदं च। (इन्द्रेण) विद्युता (च) समुच्चये (मरुत्वता) मरुतः सम्बन्धिनो विद्यन्ते यस्य तेन। अत्र सम्बन्धे मतुप्। (आदित्येभिः) किरणैः सह। बहुलं छन्दसि इति भिसः स्थान ऐसभावः। (च) पुनरर्थे (राजभिः) राजयन्ते दीपयन्ते तैः॥५॥
Connotation: - ये विद्वांसो यदा वायुविद्युद्विद्यामाश्रित्य सूर्य्यकिरणैराग्नेयास्त्रादीनि शस्त्राणि यानानि च निष्पादयन्ति तदा ते शत्रून् जित्वा राजानः सन्तः सुखिनो भवन्तीति॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान लोक वायू व विद्युतचे अवलंबन करून सूर्याच्या किरणांप्रमाणे आग्नेय इत्यादी अस्त्र शस्त्र व विमान इत्यादी याने तयार करतात ते शत्रूंना जिंकून राजे बनून सुखी होतात. ॥ ५ ॥