Go To Mantra

य इन्द्रा॑य वचो॒युजा॑ तत॒क्षुर्मन॑सा॒ हरी॑। शमी॑भिर्य॒ज्ञमा॑शत॥

English Transliteration

ya indrāya vacoyujā tatakṣur manasā harī | śamībhir yajñam āśata ||

Mantra Audio
Pad Path

ये। इन्द्रा॑य। व॒चः॒ऽयुजा॑। त॒त॒क्षुः। मन॑सा। हरी॒ इति॑। शमा॑ईभिः। य॒ज्ञम्। आ॒श॒त॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:20» Mantra:2 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:1» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे विद्वान् कैसे हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - (ये) जो ऋभु अर्थात् उत्तम बुद्धिवाले विद्वान् लोग (मनसा) अपने विज्ञान से (वचोयुजा) वाणियों से सिद्ध किये हुए (हरी) गमन और धारण गुणों को (ततक्षुः) अतिसूक्ष्म करते और उनको (शमीभिः) दण्डों से कलायन्त्रों को घुमाके (इन्द्राय) ऐश्वर्य्यप्राप्ति के लिये (यज्ञम्) पुरुषार्थ से सिद्ध करनेयोग्य यज्ञ को (आशत) परिपूर्ण करते हैं, वे सुखों को बढ़ा सकते हैं॥२॥
Connotation: - जो विद्वान् पदार्थों के संयोग वा वियोग से धारण आकर्षण वा वेगादि गुणों को जानकर क्रियाओं से शिल्पव्यवहार आदि यज्ञ को सिद्ध करते हैं, वे ही उत्तम-उत्तम ऐश्वर्य्य को प्राप्त होते हैं॥२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते ऋभवः कीदृशा इत्युपदिश्यते।

Anvay:

ये मेधाविनो मनसा वचोयुजा हरी ततक्षुः शमीभिरिन्द्राय यज्ञमाशत प्राप्नुवन्ति ते सुखमेधन्ते॥२॥

Word-Meaning: - (ये) ऋभवो मेधाविनः (इन्द्राय) ऐश्वर्य्यप्राप्तये (वचोयुजा) वचोभिर्युक्तः। अत्र सुपां सुलुग्० इत्याकारादेशः। (ततक्षुः) तनूकुर्वन्ति। अत्र लडर्थे लिट्। (मनसा) विज्ञानेन (हरी) गमनधारणगुणौ (शमीभिः) कर्मभिः। शमी इति कर्मनामसु पठितम्। (निघं०२.१) (यज्ञम्) पुरुषार्थसाध्यम् (आशत) प्राप्नुवन्ति। अत्र व्यत्ययो लडर्थे लङ् बहुलं छन्दसि इति शपो लुकि श्नोरभावश्च॥२॥
Connotation: - ये विद्वांसः पदार्थानां संयोगविभागाभ्यां धारणकर्षणवेगादिगुणान् विदित्वा यन्त्रयष्टीभ्रामणक्रियाभिः शिल्पादियज्ञं निष्पादयन्ति त एव परमैश्वर्य्यं प्राप्नुवन्ति॥२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे विद्वान पदार्थाच्या संयोग वियोगाने धारण, आकर्षण व वेग इत्यादी गुण जाणून क्रियेद्वारे शिल्पव्यवहार इत्यादी यज्ञ सिद्ध करतात, तेच उत्तमोत्तम ऐश्वर्य प्राप्त करू शकतात. ॥ २ ॥