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ये अंस्या॒ ये अङ्ग्या॑: सू॒चीका॒ ये प्र॑कङ्क॒ताः। अदृ॑ष्टा॒: किं च॒नेह व॒: सर्वे॑ सा॒कं नि ज॑स्यत ॥

English Transliteration

ye aṁsyā ye aṅgyāḥ sūcīkā ye prakaṅkatāḥ | adṛṣṭāḥ kiṁ caneha vaḥ sarve sākaṁ ni jasyata ||

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Pad Path

ये। अंस्याः॑। ये। अङ्ग्याः॑। सू॒चीकाः॑। ये। प्र॒ऽक॒ङ्क॒ताः। अदृ॑ष्टाः। किम्। च॒न। इ॒ह। वः॒। सर्वे॑। सा॒कम्। नि। ज॒स्य॒त॒ ॥ १.१९१.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:191» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:15» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (अदृष्टाः) दृष्टिगोचर न हुए विषधारी जीवो ! (इह) इस संसार में (ये) जो (वः) तुम्हारे बीच (अंस्याः) स्कन्धों में प्रसिद्ध होनेवाले (ये) जो (अङ्ग्याः) अङ्गों में प्रसिद्ध होनेवाले और (सूचीकाः) सूची के समान व्यथा देनेवाले बीछी आदि विषधारी जीव तथा (ये) जो (प्रकङ्कताः) अति पीड़ा देनेवाले चञ्चल हैं और जो (किञ्चन) कुछ विष आदि हैं ये (सर्वे) सब तुम (साकम्) एक साथ अर्थात् विष समेत (नि, जस्यत) हम लोगों को छोड़ देओ वा छुड़ा देओ ॥ ७ ॥
Connotation: - मनुष्यों को उत्तम यत्न के साथ शरीर और आत्मा को दुःख देनेवाले विष दूर करने चाहियें, जिससे यहाँ निरन्तर पुरुषार्थ बढ़े ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे अदृष्टा इह ये वोंऽस्या येऽङ्ग्याः सूचीका विषधरा ये प्रकङ्कताः सन्ति यत् किञ्चन विषादिकं चैते सर्वे यूयं साकं निजस्यत ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (ये) (अंस्याः) अंसेषु स्कन्धेषु भवाः (ये) (अङ्ग्याः) अङ्गेषु भवाः (सूचीकाः) सूचीव व्यथका वृश्चिकादयः (ये) (प्रकङ्कताः) प्रकृष्टपीडाप्रदाश्चञ्चलाः (अदृष्टाः) अदृश्यमानाः (किम्) (चन) किमपि (इह) अस्मिन् संसारे (वः) युष्माकम् (सर्वे) (साकम्) सह (नि) (जस्यत) मुञ्चन्तु मोचयन्तु वा ॥ ७ ॥
Connotation: - मनुष्यैः प्रयत्नेन शरीरात्मदुःखप्रदानि विषाणि दूरीकरणीयानि येनेह सततं पुरुषार्थो वर्द्धेत ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी उत्तम प्रयत्नांनी शरीर व आत्मा यांना दुःख देणारे विष दूर केले पाहिजे. त्यामुळे निरंतर पुरुषार्थ वाढावा. ॥ ७ ॥