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सु॒रु॒क्मे हि सु॒पेश॒साधि॑ श्रि॒या वि॒राज॑तः। उ॒षासा॒वेह सी॑दताम् ॥

English Transliteration

surukme hi supeśasādhi śriyā virājataḥ | uṣāsāv eha sīdatām ||

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Pad Path

सु॒रु॒क्मे॒ इति॑ सु॒ऽरु॒क्मे। हि। सु॒ऽपेश॑सा। अधि॑। श्रि॒या। वि॒ऽराज॑तः। उ॒षसौ॑। आ। इ॒ह। सी॒द॒ता॒म् ॥ १.१८८.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:188» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:9» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशक लोगो ! जैसे (इह) इस कार्यकारण विद्या में (सुरुक्मे) सुन्दर रमणीय (सुपेशसा) प्रशंसित स्वरूप कार्य्यकारण (श्रिया) शोभा से (अधि, विराजतः) देदीप्यमान होते हैं (हि) उन्हीं को जानकर (उषासौ) रात्रि, दिन के समान आप लोग परोपकार में (आ, सीदताम्) अच्छे प्रकार स्थिर होओ ॥ ६ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो इस सृष्टि के विद्या और अच्छी शिक्षा को पाकर कार्य्यज्ञानपूर्वक कारणज्ञान को प्राप्त होते हैं, वे सूर्य-चन्द्रमा के समान परोपकार में रमते हैं ॥ ६ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ यथेह सुरुक्मे सुपेशसा कार्य्यकारणे श्रियाधिविराजतः। ते हि विदित्वा उषासाविव भवन्तौ परोपकार आ सीदताम् ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (सुरुक्मे) रमणीये (हि) (सुपेशसा) प्रशंसास्वरूपे कार्यकारणे (अधि) (श्रिया) शोभया (विराजतः) देदीप्येते (उषासौ) रात्रिदिने इव (आ) (इह) कार्य्यकारणविद्यायाम् (सीदताम्) स्थिरौ स्याताम् ॥ ६ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। येऽस्यां सृष्टौ विद्यासुशिक्षे प्राप्य कार्य्यज्ञानपुरःसरं कारणज्ञानं लभन्ते ते सूर्य्याचन्द्रमसाविव परोपकारे रमन्ते ॥ ६ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे सृष्टि विद्या व सुशिक्षण प्राप्त करून कार्यज्ञानपूर्वक कारणज्ञान प्राप्त करतात ते सूर्य चंद्राप्रमाणे परोपकारात रमतात. ॥ ६ ॥