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प्रा॒चीनं॑ ब॒र्हिरोज॑सा स॒हस्र॑वीरमस्तृणन्। यत्रा॑दित्या वि॒राज॑थ ॥

English Transliteration

prācīnam barhir ojasā sahasravīram astṛṇan | yatrādityā virājatha ||

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Pad Path

प्रा॒चीन॑म्। ब॒र्हिः। ओज॑सा। स॒हस्र॑ऽवीरम्। अ॒स्तृ॒ण॒न्। यत्र॑। आ॒दि॒त्याः॒। वि॒ऽराज॑थ ॥ १.१८८.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:188» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्र) जिस सनातन कारण में (आदित्याः) सूर्य्यादि लोक (ओजसा) पराक्रम वा प्रताप से (सहस्रवीरम्) सहस्रों जिसमें वीर उस (प्राचीनम्) पुरातन (बर्हिः) अच्छे प्रकार बढ़े हुए विज्ञान को (अस्तृणन्) ढाँपते हैं वहाँ तुम लोग (विराजथ) विशेषता से प्रकाशित होओ ॥ ४ ॥
Connotation: - जिस सनातन कारण में सूर्य्यादि लोक-लोकान्तर प्रकाशित होते हैं, वहाँ तुम हम प्रकाशित होते हैं ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मनुष्या यत्राऽऽदित्या ओजसा सहस्रवीरं प्राचीनं बर्हिरस्तृणन् तत्र यूयं विराजथ ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (प्राचीनम्) प्राक्तनम् (बर्हिः) संवर्द्धितं तेज इव विज्ञानम् (ओजसा) पराक्रमेण (सहस्रवीरम्) सहस्राणि वीरा यस्मिँस्तम् (अस्तृणन्) आच्छादयन्ति (यत्र) यस्मिन् (आदित्याः) सूर्य्याः (विराजथ) विशेषेण प्रकाशध्वम् ॥ ४ ॥
Connotation: - यत्र सनातने कारणे सूर्यादयो लोकाः प्रकाशन्ते तत्र यूयं वयं च प्रकाशामहे ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या सनातन कारणात सूर्य इत्यादी लोकलोकांतर प्रकाशित होतात, तेथे तुम्ही आम्हीही प्रकाशित होतो. ॥ ४ ॥