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तनू॑नपादृ॒तं य॒ते मध्वा॑ य॒ज्ञः सम॑ज्यते। दध॑त्सह॒स्रिणी॒रिष॑: ॥

English Transliteration

tanūnapād ṛtaṁ yate madhvā yajñaḥ sam ajyate | dadhat sahasriṇīr iṣaḥ ||

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Pad Path

तनू॑ऽनपात्। ऋ॒तम्। य॒ते। मध्वा॑। य॒ज्ञः। सम्। अ॒ज्य॒ते॒। दध॑त्। स॒ह॒स्रिणीः॑। इषः॑ ॥ १.१८८.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:188» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अध्यापक के विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जो (सहस्रिणीः) सहस्रों (इषः) अन्नादि पदार्थों को (दधत्) धारण करता हुआ (तनूनपात्) शरीरों को न गिराने न नाश करनेहारा अर्थात् पालनेवाला (यज्ञः) पदार्थों में संयुक्त करने योग्य अग्नि (ऋतम्) यज्ञ, सत्य व्यवहार और जलादि पदार्थ को (मध्वा) मधुरता आदि के साथ (यते) प्राप्त होते हुए जन के लिये (समज्यते) अच्छे प्रकार प्रकट होता है, उसको सब सिद्ध करें ॥ २ ॥
Connotation: - जिस कर्म से अतुल धन-धान्य प्राप्त होते हैं, उसका अनुष्ठान आरम्भ मनुष्य निरन्तर करें ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाऽध्यापकविषयमाह ।

Anvay:

यः सहस्रिणीरिषो दधत्तनूनपाद्यज्ञ ऋतं मध्वा यते समज्यते तं सर्वे साध्नुत ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (तनूनपात्) यस्तनूनि शरीराणि न पातयति सः (ऋतम्) यज्ञं सत्यव्यवहारं जलादि च (यते) गच्छते (मध्वा) मधुरादिना (यज्ञः) यजनीयः (सम्) सम्यक् (अज्यते) व्यज्यते (दधत्) यो दधाति सः (सहस्रिणीः) बह्वीः (इषः) अन्नानि ॥ २ ॥
Connotation: - येन कर्मणाऽतुलानि धनधान्यानि प्राप्यन्ते तस्याऽनुष्ठानं मनुष्याः सततं कुर्वन्तु ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या कर्माने खूप धनधान्य प्राप्त होते, त्या अनुष्ठानाचा आरंभ माणसांनी सदैव करावा. ॥ २ ॥