Go To Mantra

पु॒रो॒गा अ॒ग्निर्दे॒वानां॑ गाय॒त्रेण॒ सम॑ज्यते। स्वाहा॑कृतीषु रोचते ॥

English Transliteration

purogā agnir devānāṁ gāyatreṇa sam ajyate | svāhākṛtīṣu rocate ||

Mantra Audio
Pad Path

पु॒रः॒ऽगाः। अ॒ग्निः। दे॒वाना॑म्। गा॒य॒त्रेण॑। सम्। अ॒ज्य॒ते॒। स्वाहा॑ऽकृतीषु। रो॒च॒ते॒ ॥ १.१८८.११

Rigveda » Mandal:1» Sukta:188» Mantra:11 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:9» Mantra:6 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:11


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जो परोपकारी जन हैं वे जैसे (देवानाम्) दिव्य गुण वा पृथिव्यादिकों के बीच (पुरोगाः) अग्रगामी (अग्निः) अग्नि (गायत्रेण) गायत्री छन्द से कहे हुए बोध से (स्वाहाकृतीषु) स्वाहा शब्द से जिन व्यवहारों में क्रियायें होतीं उनमें (समज्यते) प्रकट किया जाता और वह (रोचते) प्रदीप्त होता है वैसे अग्रगामी होकर सर्वत्र सत्कार को प्राप्त होते हैं ॥ ११ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। यदि मनुष्य अग्निप्रधान दिव्य पदार्थों को व्यवहारसिद्धि के लिये संयुक्त करें तो वे ऐश्वर्ययुक्त होकर माननीय होते हैं, यह समझना चाहिये ॥ ११ ॥इस सूक्त में अग्नि के दृष्टान्त से राजा, अध्यापक, उपदेशक, स्त्रीपुरुष, ईश्वर और देनेवाले के गुणों का वर्णन होने से इसके अर्थ की पिछले सूक्तार्थ के साथ सङ्गति समझनी चाहिये ॥यह एकसौ अठासीवाँ सूक्त और नवमाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

ये परोपकारिणस्ते यथा देवानां पुरोगा अग्निर्गायत्रेण स्वाहाकृतीषु समज्यते रोचते च तथाऽग्र्या भूत्वा सर्वत्र सत्क्रियन्ते ॥ ११ ॥

Word-Meaning: - (पुरोगाः) अग्रगामी (अग्निः) पावकः (देवानाम्) दिव्यगुणानां पृथिव्यादीनां मध्ये (गायत्रेण) गायत्रीछन्दोऽभिहितेन बोधेन (सम्) (अज्यते) (स्वाहाकृतीषु) स्वाहया कृतयः क्रिया येषु व्यवहारेषु तेषु (रोचते) दीप्यते ॥ ११ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यदि मनुष्या अग्निप्रधानान् दिव्यान् पदार्थान् व्यवहारसिद्धये सम्प्रयुञ्जीरन् तर्हि ते ऐश्वर्य्याढ्या भूत्वा मान्या जायन्त इति वेद्यम् ॥ ११ ॥अत्राग्न्यादिदृष्टान्तेन राजाऽध्यापकोपदेशकस्त्रीपुरुषेश्वरदातृगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥इत्यष्टाशीत्युत्तरं शततमं सूक्तं नवमो वर्गश्च समाप्तः ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जर माणसांनी अग्निप्रधान दिव्य पदार्थांचा व्यवहारसिद्धीसाठी उपयोग केला तर ते ऐश्वर्ययुक्त बनून मान्यताप्राप्त असतात, हे समजले पाहिजे. ॥ ११ ॥