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आ ति॑ष्ठतं सु॒वृतं॒ यो रथो॑ वा॒मनु॑ व्र॒तानि॒ वर्त॑ते ह॒विष्मा॑न्। येन॑ नरा नासत्येष॒यध्यै॑ व॒र्तिर्या॒थस्तन॑याय॒ त्मने॑ च ॥

English Transliteration

ā tiṣṭhataṁ suvṛtaṁ yo ratho vām anu vratāni vartate haviṣmān | yena narā nāsatyeṣayadhyai vartir yāthas tanayāya tmane ca ||

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Pad Path

आ। ति॒ष्ठ॒त॒म्। सु॒ऽवृत॑म्। यः। रथः॑। वा॒म्। अनु॑। व्र॒तानि॑। वर्त॑ते। ह॒विष्मा॑न्। येन॑। न॒रा॒। ना॒स॒त्या॒। इ॒ष॒यध्यै॑। व॒र्तिः। या॒थः। तन॑याय। त्मने॑। च॒ ॥ १.१८३.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:183» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:29» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (नरा) अग्रगामी नायक (नासत्या) सत्य विद्या क्रियायुक्त पुरुषो ! (यः) जो (हविष्मान्) बहुत खाने योग्य पदार्थोंवाला (रथः) रथ (वाम्) तुम दोनों के (अनु, वर्त्तते) अनुकूल वर्त्तमान है (येन) जिससे (इषयध्यै) ले जाने को (व्रतानि) शील उत्तम भावों को बढ़ाकर (तनयाय) सन्तान के लिये (च) और (त्मने) अपने लिये भी (वर्त्तिः) मार्ग को (याथः) जाते हो (सुवृतम्) उस सर्वाङ्ग सुन्दर रथ को तुम दोनों (आ, तिष्ठतम्) अच्छे प्रकार स्थिर होओ ॥ ३ ॥
Connotation: - मनुष्य अपने (व) सन्तानों की सुखोन्नति के लिये अच्छा दृढ़, लम्बे, चौड़े, साङ्गोपाङ्ग सामग्री से पूर्ण शीघ्र चलनेवाले भक्ष्य, भोज्य, लेह्य, चोष्य अर्थात् चट-पट खाने उत्तमता से धीरज में खाने, चाटने और चूषने योग्य पदार्थों से युक्त रथ से पृथिवी, समुद्र और आकाश मार्गों में अति उत्तमता से सावधानी के साथ जावें और आवें ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे नरा नासत्या यो हविष्मान् रथो वामनु वर्त्तते येनेषयध्यै व्रतानि वर्द्धयित्वा तनयाय त्मने च वर्त्तिर्याथस्तं सुवृतं रथं युवामातिष्ठतम् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (सुतिष्ठतम्) (वृतम्) यः सुष्ठु सर्वाङ्गैः शोभनस्तम् (यः) (रथः) (वाम्) युवाम् (अनु) (व्रतानि) शीलानि (वर्त्तते) (हविष्मान्) बह्वद्यादिपदार्थयुक्तः (येन) (नरा) नेतारौ (नासत्या) सत्यविद्याक्रियौ (इषयध्यै) एषयितुं गमयितुम् (वर्त्तिः) मार्गम् (याथः) गच्छथः (तनयाय) सन्तानाय (त्मने) आत्मनि (च) ॥ ३ ॥
Connotation: - मनुष्याः स्वस्य सन्तानादीनाञ्च सुखोन्नतये सुदृढेन विस्तीर्णेन साङ्गोपाङ्गसामग्र्या पूर्णेन सद्योगामिना भक्ष्यभोज्यलेह्यचूष्यैर्युक्तेन रथेन भूसमुद्राकाशमार्गेषु प्रसमाहिततया गच्छेयुरागच्छेयुश्च ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी आपल्या व संतानाच्या सुखासाठी चांगले दृढ, लांब, रुंद, पूर्ण साहित्याने भरलेले, शीघ्र चालणारे, भक्ष्य, भोज्य, लेह्य, चोख्य, चटपटीत खाण्यायोग्य, चाटण्या व चोखण्यायोग्य पदार्थांनीयुक्त रथाद्वारे (यानाद्वारे) पृथ्वी, समुद्र व आकाश मार्गाने सावधानपूर्वक जावे-यावे. ॥ ३ ॥