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सद॑स॒स्पति॒मद्भु॑तं प्रि॒यमिन्द्र॑स्य॒ काम्य॑म्। स॒निं मे॒धाम॑यासिषम्॥

English Transliteration

sadasas patim adbhutam priyam indrasya kāmyam | sanim medhām ayāsiṣam ||

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Pad Path

सद॑सः। पति॑म्। अद्भु॑तम्। प्रि॒यम्। इन्द्र॑स्य। काम्य॑म्। स॒निम्। मे॒धाम्। अ॒या॒सि॒ष॒म्॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:18» Mantra:6 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:35» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अगले मन्त्र में इन्द्र शब्द से परमेश्वर के गुणों का उपदेश किया है-

Word-Meaning: - मैं (इन्द्रस्य) जो सब प्राणियों को ऐश्वर्य्य देने (काम्यम्) उत्तम (सनिम्) पाप-पुण्य कर्मों के यथायोग्य फल देने और (प्रियम्) प्राणियों को प्रसन्न करानेवाले (अद्भुतम्) आश्चर्य्यमय गुण और स्वभाव स्वरूप (सदसस्पतिम्) और जिसमें विद्वान् धार्मिक न्याय करनेवाले स्थित हों, उस सभा के स्वामी परमेश्वर की उपासना और सब उत्तम गुण स्वभाव परोपकारी सभापति को प्राप्त होके (मेधाम्) उत्तम ज्ञान को धारण करनेवाली बुद्धि को (अयासिषम्) प्राप्त होऊँ॥६॥
Connotation: - जो मनुष्य सर्वशक्तिमान् सबके अधिष्ठाता और सब आनन्द के देनेवाले परमेश्वर की उपासना करते और उत्कृष्ट न्यायाधीश को प्राप्त होते हैं, वे ही सब शास्त्रों के बोध से प्रसिद्ध क्रियाओं से युक्त बुद्धियों को प्राप्त और पुरुषार्थी होकर विद्वान् होते हैं॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेन्द्रशब्देन परमेश्वरगुणा उपदिश्यन्ते।

Anvay:

अहमिन्द्रस्य काम्यं सनिं प्रियमद्भुतं सदसस्पतिं परमेश्वरमुपास्य सभाध्यक्षं प्राप्य मेधामयासिषं बुद्धिं प्राप्नुयाम्॥६॥

Word-Meaning: - (सदसः) सीदन्ति विद्वांसो धार्मिका न्यायाधीशा यस्मिँस्तत्सदः सभा तस्य। अत्राधिकरणेऽसुन्। (पतिम्) स्वामिनम् (अद्भुतम्) आश्चर्य्यगुणस्वभावस्वरूपम्। अदि भुवो डुतच्। (उणा०५.१) अनेन ‘भू’धातोरद्युपपदे डुतच् प्रत्ययः। (प्रियम्) प्रीणाति सर्वान् प्राणिनस्तम् (इन्द्रस्य) जीवस्य (काम्यम्) कमनीयम् (सनिम्) पापपुण्यानां विभागेन फलप्रदातारम्। खनिकष्यज्यसि० (उणा०४.१४०) अनेन ‘सन’धातोरिः प्रत्ययः (मेधाम्) धारणावतीं बुद्धिम् (अयासिषम्) प्राप्नुयाम्॥६॥
Connotation: - ये मनुष्याः सर्वशक्तिमन्तं सर्वाधिष्ठातारं सर्वानन्दप्रदं परमेश्वरसुपासते, ये च सर्वोत्कृष्टगुणस्वभावपरोपकारिणं सभापतिं प्राप्नुवन्ति त एव सर्वशास्त्रबोधक्रियायुक्तां धियं प्राप्य पुरुषार्थिनो विद्वांसश्च भूत्वा सुखिनो भवन्तीति॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे सर्वशक्तिमान, सर्वांचा अधिष्ठाता व संपूर्ण आनंददाता अशा परमेश्वराची उपासना करतात, त्यांना उत्कृष्ट, गुणवान, परोपकारी, न्यायाधीश सभाधीश प्राप्त होतो. तीच सर्व शास्त्रांचा बोध घेऊन क्रियायुक्त बुद्धीने पुरुषार्थी होऊन विद्वान बनतात आणि सुखी होतात. ॥ ६ ॥