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जेता॒ नृभि॒रिन्द्र॑: पृ॒त्सु शूर॒: श्रोता॒ हवं॒ नाध॑मानस्य का॒रोः। प्रभ॑र्ता॒ रथं॑ दा॒शुष॑ उपा॒क उद्य॑न्ता॒ गिरो॒ यदि॑ च॒ त्मना॒ भूत् ॥

English Transliteration

jetā nṛbhir indraḥ pṛtsu śūraḥ śrotā havaṁ nādhamānasya kāroḥ | prabhartā rathaṁ dāśuṣa upāka udyantā giro yadi ca tmanā bhūt ||

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Pad Path

जेता॑। नृऽभिः॑। इन्द्रः॑। पृ॒त्ऽसु। शूरः॑। श्रोता॑। हव॑म्। नाध॑मानस्य। का॒रोः। प्रऽभ॑र्ता। रथ॑म्। दा॒शुषः॑। उ॒पा॒के। उत्ऽय॑न्ता। गिरः॑। यदि॑। च॒। त्मना॑। भूत् ॥ १.१७८.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:178» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:21» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (यदि) जो (नृभिः) नायक वीरों के साथ (शूरः) शत्रुओं की हिंसा करनेवाला (जेता) विजयशील (नाधमानस्य) माँगते हुए (कारोः) कार्यकारी पुरुष के (हवम्) ग्रहण करने योग्य विद्याबोध को (श्रोता) सुननेवाला (प्रभर्त्ता) उत्तम विद्याओं का धारण करनेवाला (दाशुषः) दानशील के (उपाके) समीप (गिरः) वाणियों का (उद्यन्ता) उद्यम करनेवाला (इन्द्रः) सेनाधीश तूँ (त्मना) अपने से (पृत्सु) संग्रामों में (रथम्) रथ को (च) भी ग्रहण करके प्रवृत्त (भूत्) होवे उसका दृढ़ विजय हो ॥ ३ ॥
Connotation: - जो विद्या की याचना करें, उसको निरन्तर विद्या देवें। जो जितेन्द्रिय सत्यवादी होते हैं, उन्हीं को विद्या प्राप्त होती है। जो विद्या और शरीर बलों से शत्रुओं के साथ युद्ध करते हैं, उनका कैसे पराजय हो ? ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यदि नृभिस्सह शूरो जेता नाधमानस्य कारोर्हवं श्रोता प्रभर्त्ता दाशुष उपाके गिर उद्यन्तेन्द्रस्त्वं त्मना पृत्सु रथं च गृहीत्वा प्रवृत्तोभूत्तर्हि तस्य ध्रुवो विजयः स्यात् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (जेता) जेतुं शीलः (नृभिः) नायकैर्वीरैस्सह (इन्द्रः) सेनेशः (पृत्सु) सङ्ग्रामेषु (शूरः) शत्रूणां हिंसकः (श्रोता) (हवम्) आदातुमर्हं विद्याबोधम् (नाधमानस्य) याचमानस्य (कारोः) कर्त्तुं शीलस्य (प्रभर्त्ता) प्रकृष्टानां विद्यानां धर्ता (रथम्) यानम् (दाशुषः) दातुं शीलस्य (उपाके) समीपे (उद्यन्ता) उत्कृष्टतया नियन्ता (गिरः) वाणीः (यदि) (च) (त्मना) आत्मना (भूत्) भवेत्। अत्राडभावः लिङर्थे लुङ् च ॥ ३ ॥
Connotation: - ये विद्यां याचेयुस्तेभ्यस्सततं दद्यात्। ये जितेन्द्रिया सत्यवादिनो भवन्ति तेषामेव विद्या प्राप्ता भवति। ये विद्याशरीरबलैर्युक्ता शत्रुभिः सह युद्ध्यन्ते तेषां कुतः पराजयः ? ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो विद्येची याचना करतो त्याला निरंतर विद्या द्यावी. जे जितेंद्रिय सत्यवादी असतात त्यांनाच विद्या प्राप्त होते. जे विद्या व शरीरबलाने शत्रूंबरोबर युद्ध करतात त्यांचा पराजय कसा होईल? ॥ ३ ॥