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ये ते॒ वृष॑णो वृष॒भास॑ इन्द्र ब्रह्म॒युजो॒ वृष॑रथासो॒ अत्या॑:। ताँ आ ति॑ष्ठ॒ तेभि॒रा या॑ह्य॒र्वाङ्हवा॑महे त्वा सु॒त इ॑न्द्र॒ सोमे॑ ॥

English Transliteration

ye te vṛṣaṇo vṛṣabhāsa indra brahmayujo vṛṣarathāso atyāḥ | tām̐ ā tiṣṭha tebhir ā yāhy arvāṅ havāmahe tvā suta indra some ||

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Pad Path

ये। ते॒। वृष॑णः। वृ॒ष॒भासः॑। इ॒न्द्र॒। ब्र॒ह्म॒ऽयुजः॑। वृष॑ऽरथासः। अत्याः॑। तान्। आ। ति॒ष्ठ॒। तेभिः॑। आ। या॒हि॒। अ॒र्वाङ्। हवा॑महे। त्वा॒। सु॒ते। इ॑न्द्र। सोमे॑ ॥ १.१७७.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:177» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अगले मन्त्र में राजविषय का उपदेश किया है ।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) सूर्य के समान वर्त्तमान राजन् ! (ते) आपके (ये) जो (वृषणः) प्रबल ज्वान (वृषभासः) वृषभ (ब्रह्मयुजः) उत्तम अन्न का योग करनेवाले (वृषरथासः) शक्तिबन्धक और रमण साधन रथ (अत्याः) और निरन्तर गमनशील घोड़े हैं (तान्) उनको (आ, तिष्ठ) यत्नवान् करो अर्थात् उन पर चढ़ो, उन्हें कार्यकारी करो। हे (इन्द्र) सूर्य के समान वर्त्तमान राजन् ! हम लोग (सुते) उत्पन्न हुए (सोमे) ओषधि आदिकों के गुण के समान ऐश्वर्य के निमित्त (त्वा) आपको (हवामहे) स्वीकार करते हैं आप (तेभिः) उनके साथ (अर्वाङ्) सम्मुख (आ, याहि) आओ ॥ २ ॥
Connotation: - जो राजजन समस्त साधनों से साध्य रथों, प्रबल घोड़ों और बैलों को कार्य्यों में संयुक्त कराते हैं, वे प्रशस्त यान आदि पदार्थों से युक्त हुए ऐश्वर्य को प्राप्त होते हैं ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजविषयमाह ।

Anvay:

हे इन्द्र ते वृषणो ये वृषभासो ब्रह्मयुजो वृषरथासोऽत्याः सन्ति तानातिष्ठ। हे इन्द्र वयं सुते सोमे त्वा हवामहे त्वं तेभिरर्वाङायाहि ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (ये) (ते) (वृषणः) प्रबला युवानः (वृषभासः) परिशक्तिबन्धकाः (इन्द्र) विद्युदिव सेनेश (ब्रह्मयुजः) ब्रह्माणं युञ्जन्ति यैस्ते (वृषरथासः) वृषाः शक्तिबन्धका रथा रमणसाधनानि येषान्ते (अत्याः) नितरां गमनशीला अश्वाः (तान्) (आ) समन्तात् (तिष्ठ) (तेभिः) तैः (आ) आभिमुख्ये (याहि) आगच्छ (अर्वाङ्) अभिमुखम् (हवामहे) स्वीकुर्महे (त्वा) त्वाम् (सुते) निष्पन्ने (इन्द्र) सूर्यइव वर्त्तमान (सोमे) ओषध्यादिगुणइवैश्वर्ये ॥ २ ॥
Connotation: - ये राजानः सर्वसाधनसाध्यरथान् प्रबलानश्वान् वृषभांश्च कार्येषु संयोजयन्ति ते प्रशस्तयानादियुक्ता ऐश्वर्यं लभन्ते ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे राजे संपूर्ण साधनांनी साध्य, रथ, प्रबल घोडे व बैलांना कार्यात संयुक्त करवितात त्यांना प्रशस्त यान इत्यादी पदार्थांनी युक्त ऐश्वर्य प्राप्त होते. ॥ २ ॥