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आ॒रे सा व॑: सुदानवो॒ मरु॑त ऋञ्ज॒ती शरु॑:। आ॒रे अश्मा॒ यमस्य॑थ ॥

English Transliteration

āre sā vaḥ sudānavo maruta ṛñjatī śaruḥ | āre aśmā yam asyatha ||

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Pad Path

आ॒रे। सा। वः॒। सु॒ऽदा॒न॒वः॒। मरु॑तः। ऋ॒ञ्ज॒ती। शरुः॑। आ॒रे। अश्मा॑। यम्। अस्य॑थ ॥ १.१७२.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:172» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:12» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (सुदानवः) प्रशंसित दान करनेवाले (मरुतः) वायुवत् बलवान् विद्वानो ! (वः) तुम्हारी जो (ऋञ्जती) पचाती-जलाती (शरुः) दुष्टों को विनाशती हुई द्विधारा तलवार है (सा) वह हमसे (आरे) दूर रहे और (यम्) जिस विशेष शस्त्र को (अश्मा) मेघ के समान तुम (अस्यथ) छोड़ते हो वह हमारे (आरे) समीप रहे ॥ २ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य मेघ के समान सुख देनेवाले, दुष्टों को छोड़नेवाले, श्रेष्ठों के समीप और दुष्टों से दूर वसते हैं, वे सङ्ग करने योग्य हैं ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे सुदानवो मरुतो वो युष्माकं या ऋञ्जती शरुरस्ति साऽस्मत्त आरे अस्तु। यं शस्त्रविशेषमश्मा यूयमस्यथ सोऽस्मत्त आरे अस्तु ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (आरे) दूरे (सा) (वः) युष्माकम् (सुदानवः) प्रशस्तदानकर्त्तारः (मरुतः) वायुवद्बलिष्ठाः (ऋञ्जती) ऋञ्जमाना पाचयित्री (शरुः) दुष्टानां हिंसिका ऋष्टिः (आरे) समीपे (अश्मा) मेघइव (यम्) शस्त्रविशेषम् (अस्यथ) प्रक्षिपथ ॥ २ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्या मेघवत् सुखप्रदा दुष्टानां त्यक्तारः श्रेष्ठानां समीपे दुष्टेभ्यो दूरे वसन्ति ते सङ्गन्तव्या भवन्ति ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे मेघाप्रमाणे सुख देणारी, दुष्टांचा संग सोडणारी, श्रेष्ठांच्या संगतीत राहणारी व दुष्टांपासून लांब राहणारी असतात, ती संगती करण्यायोग्य असतात. ॥ २ ॥