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चि॒त्रो वो॑ऽस्तु॒ याम॑श्चि॒त्र ऊ॒ती सु॑दानवः। मरु॑तो॒ अहि॑भानवः ॥

English Transliteration

citro vo stu yāmaś citra ūtī sudānavaḥ | maruto ahibhānavaḥ ||

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Pad Path

चि॒त्रः। वः॒। अ॒स्तु॒। यामः॑। चि॒त्रः। ऊ॒ती। सु॒ऽदा॒न॒वः॒। मरु॑तः। अहि॑ऽभानवः ॥ १.१७२.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:172» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:12» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब तीन ऋचावाले एकसौ बहत्तरवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में पवन के दृष्टान्त से विद्वानों के गुणों का वर्णन करते हैं ।

Word-Meaning: - हे (ऊती) रक्षा आदि के साथ वर्त्तमान (अहिभानवः) मेघ का प्रकाश करनेवाले (सुदानवः) सुन्दर दानशील (मरुतः) प्राण के समान वर्त्तामान जनो ! जैसे पवनों का (चित्रः) अद्भुत (यामः) गमन करना वा (चित्रः) चित्र-विचित्र स्वभाव है वैसे (वः) तुम्हारा (अस्तु) हो ॥ १ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जैसे जीवन का अच्छे प्रकार देना, वर्षा करना आदि पवनों के अद्भुत कर्म्म हैं, वैसे तुम्हारे भी हों ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ वायुदृष्टान्तेन विद्वद्गुणानाह ।

Anvay:

हे ऊती सह वर्त्तमाना अहिभानवः सुदानवो मरुतो यथा वायूनां चित्रो यामश्चित्रः स्वभावोऽस्ति तथा वोऽस्तु ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (चित्रः) विचित्रः (वः) युष्माकम् (अस्तु) भवतु (यामः) गमनम् (चित्रः) अद्भुतः (ऊती) रक्षणादिना (सुदानवः) सुष्ठु दातारः (मरुतः) प्राणवद्वर्त्तमानाः (अहिभानवः) अहेर्मेघस्य प्रकाशकाः ॥ १ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या यथा जीवनप्रदानवर्षाकारणादीनि वायूनामद्भुतानि कर्माणि सन्ति तथा भवतामपि सन्तु ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात वायूप्रमाणे विद्वानांच्या गुणांची प्रशंसा असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागील सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जसे जीवन प्रदान करणे, वृष्टी करविणे इत्यादी वायूचे अद्भुत कर्म आहे तसे तुमचेही (कर्म) असावे. ॥ १ ॥