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ए॒ष व॒: स्तोमो॑ मरुतो॒ नम॑स्वान्हृ॒दा त॒ष्टो मन॑सा धायि देवाः। उपे॒मा या॑त॒ मन॑सा जुषा॒णा यू॒यं हि ष्ठा नम॑स॒ इद्वृ॒धास॑: ॥

English Transliteration

eṣa vaḥ stomo maruto namasvān hṛdā taṣṭo manasā dhāyi devāḥ | upem ā yāta manasā juṣāṇā yūyaṁ hi ṣṭhā namasa id vṛdhāsaḥ ||

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Pad Path

ए॒षः। वः॒। स्तोमः॑। म॒रु॒तः॒। नम॑स्वान्। हृ॒दा। त॒ष्टः। मन॑सा। धा॒यि॒। दे॒वाः॒। उप॑। ई॒म्। आ। या॒त॒। मन॑सा। जु॒षा॒णाः। यू॒यम्। हि। स्थ। नम॑सः। इत्। वृ॒धासः॑ ॥ १.१७१.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:171» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (देवाः) कामना करते हुए (मरुतः) विद्वानो ! जिससे (एषः) यह (वः) तुम्हारा (नमस्वान्) सत्कारात्मक (हृदा) हृदयस्थ विचार से (तष्टः) विधान किया (स्तोमः) सत्कारात्मक स्तुति विषय (मनसा) मन से (धायि) धारण किया जाय (हि) उसी को (मनसा) मन से (जुषाणाः) सेवते हुए (यूयम्) तुम लोग (उप, आ, यात) समीप आओ और (नमसः) अन्नादि ऐश्वर्य की (इत्) ही (ईम्) सब ओर से (वृधासः) वृद्धि को प्राप्त वा उसको बढ़ानेवाले (स्थ) होओ ॥ २ ॥
Connotation: - जो धार्मिक विद्वानों के शील को स्वीकार करते हैं, वे प्रशंसित होते हैं ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे देवा मरुतो येनैष नमस्वान् हृदा तष्टः स्तोमो मनसा धायि तं हि मनसा जुषाणाः सन्तो यूयमुपा यात नमस इदीं वृधासः स्थ ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (एषः) (वः) युष्माकम् (स्तोमः) स्तुतिविषयः (मरुतः) विद्वांसः (नमस्वान्) सत्कारात्मकः (हृदा) हृदयस्थेन (तष्टः) (विहितः) (मनसा) अन्तःकरणेन (धायि) ध्रियेत (देवाः) कामयमानाः (उप) (ईम्) सर्वतः (आ) (यात) समन्तात्प्राप्नुत (मनसा) चित्तेन (जुषाणाः) सेवमानाः (यूयम्) (हि) किल (स्थ) भवथ। अत्रान्येषामपीति दीर्घः। (नमसः) अन्नाद्यैश्वर्यस्य (इत्) एव (वृधासः) वर्द्धमाना वर्द्धयितारो वा ॥ २ ॥
Connotation: - ये धार्मिकाणां विदुषां शीलं स्वीकुर्वन्ति ते प्रशंसिता भवन्ति ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे धार्मिक विद्वानांचे शील अंगीकारतात ते प्रशंसनीय असतात. ॥ २ ॥