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प्रति॑ व ए॒ना नम॑सा॒हमे॑मि सू॒क्तेन॑ भिक्षे सुम॒तिं तु॒राणा॑म्। र॒रा॒णता॑ मरुतो वे॒द्याभि॒र्नि हेळो॑ ध॒त्त वि मु॑चध्व॒मश्वा॑न् ॥

English Transliteration

prati va enā namasāham emi sūktena bhikṣe sumatiṁ turāṇām | rarāṇatā maruto vedyābhir ni heḻo dhatta vi mucadhvam aśvān ||

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Pad Path

प्रति॑। वः॒। ए॒ना। नम॑सा। अ॒हम्। ए॒मि॒। सु॒ऽउ॒क्तेन॑। भि॒क्षे॒। सु॒ऽम॒तिम्। तु॒राणा॑म्। र॒रा॒णता॑। म॒रु॒तः॒। वे॒द्याभिः॑। नि। हेळः॑। ध॒त्त। वि। मु॒च॒ध्व॒म्। अश्वा॑न् ॥ १.१७१.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:171» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ इकहत्तरवें सूक्त का आरम्भ है। उसमें फिर विद्वानों के कृत्य का वर्णन करते हैं ।

Word-Meaning: - हे (मरुतः) विद्वानो ! (अहम्) मैं (एना) इस (नमसा) नमस्कार सत्कार वा अन्न से (वः) तुम्हारे (प्रति, एमि) प्रति आता हूँ और (सूक्तेन) सुन्दर कहे हुए विषय से (तुराणाम्) शीघ्रकारी जनों की (सुमतिम्) उत्तम मति को (भिक्षे) माँगता हूँ। हे विद्वानो ! तुम (रराणता) रमण करते हुए मन से (वेद्याभिः) दूसरे को बताने योग्य क्रियाओं से (हेडः) अनादर को (नि, धत्त) धारण करो अर्थात् सत्कार-असत्कार के विषयों को विचार के हर्ष-शोक न करो। ओर (अश्वान्) अतीव उत्तम वेगवान् अपने घोड़ों को (वि, मुचध्वम्) छोड़ो ॥ १ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो शुद्ध, अन्तःकरण से नाना प्रकार के विज्ञानों को प्राप्त होते हैं, वे कहीं अनादर नहीं पाते ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वत्कृत्यमाह ।

Anvay:

हे मरुतोऽहमेना नमसा वः प्रत्येमि। सूक्तेन तुराणां सुमतिं भिक्षे। हे मरुतो यूयं रराणता मनसा वेद्याभिर्हेडो निधत्ताश्वान् विमुचध्वञ्च ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (प्रतिः) (वः) युष्मान् (एना) एनेन (नमसा) नमस्कारेणान्नेन वा (अहम्) (एमि) प्राप्नोमि (सूक्तेन) सुष्ठु कथितेन (भिक्षे) याचे (सुमतिम्) शोभनां मतिम् (तुराणाम्) शीघ्रकारिणाम् (रराणता) रममाणेन मनसा (मरुतः) विद्वांसः (वेद्याभिः) वेदितुं योग्याभिः (नि) (हेळः) अनादरम् (धत्त) (वि) (मुचध्वम्) त्यजत (अश्वान्) अत्युत्कृष्टवेगवतः ॥ १ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये शुद्धेनान्तःकरणेन नानाविज्ञानानि लभन्ते ते क्वाप्यनादरं नाप्नुवन्ति ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानांच्या कृत्यांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्तातील अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे शुद्ध अंतःकरणाने विविध प्रकारचे विज्ञान प्राप्त करतात त्यांचा कुठेही अनादर होत नाही. ॥ १ ॥