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प्रति॑ घो॒राणा॒मेता॑नाम॒यासां॑ म॒रुतां॑ शृण्व आय॒तामु॑प॒ब्दिः। ये मर्त्यं॑ पृतना॒यन्त॒मूमै॑र्ऋणा॒वानं॒ न प॒तय॑न्त॒ सर्गै॑: ॥

English Transliteration

prati ghorāṇām etānām ayāsām marutāṁ śṛṇva āyatām upabdiḥ | ye martyam pṛtanāyantam ūmair ṛṇāvānaṁ na patayanta sargaiḥ ||

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Pad Path

प्रति॑। घो॒राणा॑म्। एता॑नाम्। अ॒यासा॑म्। म॒रुता॑म्। शृ॒ण्वे॒। आ॒ऽय॒ताम्। उ॒प॒ब्दिः। ये। मर्त्य॑म्। पृ॒त॒ना॒ऽयन्त॑म्। ऊमैः॑। ऋ॒ण॒ऽवान॑म्। न। प॒तय॑न्त। सर्गैः॑ ॥ १.१६९.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:169» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:9» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रकृत विषय में शूरवीर होने के गुणों को कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे मैं (घोराणाम्) मारनेवाली (एतानाम्) इन पूर्वोक्त (अयासाम्) प्राप्त हुए वा (आयताम्) (मरुताम्) आते हुए पवनवत् शीघ्रकारी मनुष्य स्त्री जनों की जो (उपब्दिः) वाणी है उसको (प्रति, शृण्वे) बार-बार सुनता हूँ और (ये) जो (पृतनायन्तम्) अपने को सेना की इच्छा करते हुए (मर्त्यम्) मनुष्य को (ऋणावानम्) ऋणयुक्त को जैसे (न) वैसे (ऊमैः) रक्षणादि (सर्गैः) संसर्गों से युक्त विषयों के साथ (पतयन्त) स्वामी के समान मानें उनका सेवन करता हूँ, वैसे तुम भी आचरण करो ॥ ७ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। जो दुष्ट पुरुषों और स्त्रियों के कठोर शब्दों को सुनकर नहीं सोच करते हैं, वे शूरवीर होते हैं ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रकृतविषये शूरवीरत्वगुणानाह ।

Anvay:

हे मनुष्या यथाऽहं घोराणामेतानामयासामायतां मरुतां योपब्दिरस्ति तां प्रति शृण्व ये पृतनायन्तं मर्त्यमृणावानं नोमैः सर्गैः पतयन्त तान्सेवे तथा यूयमप्याचरत ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (प्रति) वीप्सायाम् (घोराणाम्) हन्त्रीणाम् (एतानाम्) पूर्वोक्तानाम् (अयासाम्) प्राप्तानाम् (मरुताम्) वायूनामिव विदुषां विदुषीजनानां वा (शृण्वे) (आयताम्) आगच्छतामागच्छन्तीनां वा (उपब्दिः) वाक्। उपब्दिरिति वाङ्ना०। निघं० १। ११। (ये) (मर्त्यम्) मनुष्यम् (पृतनायन्तम्) आत्मनः पृतनां सेनामिच्छन्तम् (ऊमैः) रक्षणादिभिः (ऋणावानम्) ऋणयुक्तम् (न) इव (पतयन्त) पतिमिवाचरन्तु। अत्राडभावः। (सर्गैः) संसृष्टैः ॥ ७ ॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारौ। ये दुष्टानां पुरुषाणां स्त्रीणां च कठोरान् शब्दान् श्रुत्वा न शोचन्ति ते शूरवीरा भवन्ति ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमा व वाचकलुप्तोपमालंकार आहेत. जे दुष्ट पुरुष व स्त्रियांचे कठोर वचन ऐकूनही त्याकडे लक्ष देत नाहीत, शोक करीत नाहीत ते शूरवीर असतात. ॥ ७ ॥