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इ॒मं रथ॒मधि॒ ये स॒प्त त॒स्थुः स॒प्तच॑क्रं स॒प्त व॑ह॒न्त्यश्वा॑:। स॒प्त स्वसा॑रो अ॒भि सं न॑वन्ते॒ यत्र॒ गवां॒ निहि॑ता स॒प्त नाम॑ ॥

English Transliteration

imaṁ ratham adhi ye sapta tasthuḥ saptacakraṁ sapta vahanty aśvāḥ | sapta svasāro abhi saṁ navante yatra gavāṁ nihitā sapta nāma ||

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Pad Path

इ॒मम्। रथ॑म्। अधि॑। ये। स॒प्त। त॒स्थुः। स॒प्तऽच॑क्रम्। स॒प्त। व॒ह॒न्ति॒। अश्वाः॑। स॒प्त। स्वसा॑रः। अ॒भि। सम्। न॒व॒न्ते॒। यत्र॑। गवा॑म्। निऽहि॑ता। स॒प्त। नाम॑ ॥ १.१६४.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:164» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:14» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (यत्र) जिसमें (गवाम्) किरणों के (सप्त) सात (नाम) नाम (निहिता) निरन्तर धरे स्थापित किये हुए हैं और वहाँ (स्वसारः) बहिनों के समान वर्त्तमान (सप्त) सात कला (अभि, सं, नवन्ते) सामने मिलती हैं (सप्त) सात (अश्वाः) शीघ्रगामी अग्नि पदार्थ (वहन्ति) पहुँचाते हैं उस (इमम्) इस (सप्तचक्रम्) सात चक्करवाले (रथम्) रथ को (ये) जो (सप्त) सातजन (अधि, तस्थुः) अधिष्ठित होते हैं वे इस जगत् में सुखी होते हैं ॥ ३ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो स्वामी अध्यापक अध्येता रचनेवाले नियम कर्त्ता और चलानेवाले अनेक चक्कर और तत्त्वादियुक्त विमानादि यानों को रचने को जानते हैं, वे प्रशंसित होते हैं, जिनमें छेदन वा आकर्षण गुणवाले किरण वर्त्तमान हैं, वहाँ प्राण भी हैं ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

यत्र गवां सप्त नाम निहिता सन्ति तत्र स्वसार इव सप्ताऽभि संनवन्ते सप्ताश्वाश्च वहन्ति तमिमं सप्तचक्रं रथं ये सप्त जना अधितस्थुस्तेऽत्र सुखिनो भवन्ति ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (इमम्) (रथम्) (अधि) (ये) (सप्त) (तस्थुः) तिष्ठेयुः (सप्तचक्रम्) सप्त चक्राणि यस्मिँस्तम् (सप्त) (वहन्ति) चालयन्ति (अश्वाः) आशुगामिनोऽग्न्यादयः (सप्त) (स्वसारः) भगिन्य इव वर्त्तमानाः कलाः (अभि) (सम्) (नवन्ते) गच्छन्ति। नवत इति गतिकर्मा०। निघं० २। १४। (यत्र) यस्मिन् (गवाम्) किरणानाम् (निहिता) धृतानि (सप्त) (नाम) नामानि ॥ ३ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये स्वाम्यध्यापकाध्येतृनिर्मातृनियन्तृचालका अनेकचक्रतत्त्वादियुक्तानि यानानि रचयितुं जानन्ति ते प्रशंसिता भवन्ति यस्मिञ्छेदनाकर्षणादिगुणाः किरणा वर्त्तन्ते तत्र प्राणा अपि सन्ति ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे स्वामी, अध्यापक, अध्येता, निर्माणकर्ता, नियमकर्ता व अनेक चक्र आणि तत्त्व इत्यादीनी विमान इत्यादी यानांना तयार करतात ते प्रशंसनीय ठरतात. ज्यात छेदन व आकर्षण गुणयुक्त किरण असतात तेथे प्राणही असतो. ॥ ३ ॥