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स्त्रिय॑: स॒तीस्ताँ उ॑ मे पुं॒स आ॑हु॒: पश्य॑दक्ष॒ण्वान्न वि चे॑तद॒न्धः। क॒विर्यः पु॒त्रः स ई॒मा चि॑केत॒ यस्ता वि॑जा॒नात्स पि॒तुष्पि॒तास॑त् ॥

English Transliteration

striyaḥ satīs tām̐ u me puṁsa āhuḥ paśyad akṣaṇvān na vi cetad andhaḥ | kavir yaḥ putraḥ sa īm ā ciketa yas tā vijānāt sa pituṣ pitāsat ||

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Pad Path

स्त्रियः॑। स॒तीः। तान्। ऊँ॒ इति॑। मे॒। पुं॒सः। आ॑आ॒हुः॒। पश्य॑त्। अ॒क्ष॒ण्ऽवान्। न। वि। चे॒त॒त्। अ॒न्धः। क॒विः। यः। पु॒त्रः। सः। ई॒म्। आ। चि॒के॒त॒। यः। ता। वि॒ऽजा॒नात्। सः। पि॒तुः। पि॒ता। अ॒स॒त् ॥ १.१६४.१६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:164» Mantra:16 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:17» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वान् और विदुषी स्त्रियों के विषय को कहते हैं ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जिनको (अक्षण्वान्) विज्ञानवान् पुरुष (पश्यत्) देखे (अन्धः) और अन्ध अर्थात् अज्ञानी पुरुष (न) नहीं (वि, चेतत्) विविध प्रकार से जाने और जिनको (सतीः) विद्या तथा उत्तम शिक्षादि शुभ गुणों से युक्त (स्त्रियः) स्त्रियाँ (आहुः) कहती हैं (तानु) उन्हीं (मे) मेरे (पुंसः) पुरुषों को जानो (यः) जो (कविः) विक्रमण करने अर्थात् प्रत्येक पदार्थ में क्रम-क्रम से पहुँचानेवाली बुद्धि रखनेवाला (पुत्रः) पवित्र वृद्धि को प्राप्त पुरुष (ता) उन इष्ट पदार्थों को (ईम्) सब ओर से (आ, विजानात्) अच्छे प्रकार जाने (सः) वह विद्वान् हो और (यः) जो विद्वान् हो (सः) वह (पितुः) पिता का (पिता) पिता (असत्) हो यह तुम (चिकेत) जानो ॥ १६ ॥
Connotation: - जिसको विद्वान् जानते हैं उसको अविद्वान् नहीं जान सकते, जैसे विद्वान् जन पुत्रों को पढ़ाकर विद्वान् करें वैसे विदुषी स्त्रियाँ कन्याओं को विदुषी करें। जो पृथिवी से लेके ईश्वरपर्यन्त पदार्थों के गुण, कर्म, स्वभावों को जान, धर्म्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध करते हैं, वे ज्वान भी बुड्ढों के पिता होते हैं ॥ १६ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विदुषीविषयमाह ।

Anvay:

हे मनुष्या यान् अक्षण्वान् पश्यदन्धो न विचेतत् सतीः स्त्रिय आहुस्तानु मे पुंसो जनान् विजानीत। यः कविः पुत्रस्ता तानीमा विजानात् स विद्वान् स्यात् यो विद्वान् भवेत् स पितुष्पितासदिति यूयं चिकेत ॥ १६ ॥

Word-Meaning: - (स्त्रियः) (सतीः) विद्यासुशिक्षादिशुभगुणसहिताः (तान्) (उ) वितर्के (मे) मम (पुंसः) पुरुषान् (आहुः) कथयन्ति (पश्यत्) पश्येत्। अत्र लङ्यडभावः। (अक्षण्वान्) विज्ञानी (न) निषेधे (वि) (चेतत्) चेतेत् (अन्धः) ज्ञानशून्यः (कविः) विक्रान्तप्रज्ञः (यः) (पुत्रः) पवित्रोपचितः (सः) (ईम्) (आ) (चिकेत) विजानीत (यः) (ता) तानि (विजानात्) (सः) (पितुः) जनकस्य (पिता) जनकः (असत्) भवेत् ॥ १६ ॥
Connotation: - यद्विद्वांसो जानन्ति तदविद्वांसो ज्ञातुं न शक्नुवन्ति। यथा विद्वांसः पुत्रानध्याप्य विदुषः कुर्य्युस्तथा विदुष्यः स्त्रियः कन्या विदुषीः संपादयेयुः। ये पृथिवीमारभ्य परमेश्वरपर्यन्तानां पदार्थानां गुणकर्मस्वभावान् विज्ञाय धर्म्मार्थकाममोक्षान् साध्नुवन्ति ते युवानोऽपि वृद्धानां पितरो भवन्ति ॥ १६ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या गोष्टीला विद्वान जाणतात त्याला अविद्वान लोक जाणत नाहीत. जसे विद्वान पुत्रांना शिकवून विद्वान करतात तसे विदुषी स्त्रियांनी कन्यांना विदुषी करावे. जे पृथ्वीपासून ईश्वरापर्यंत पदार्थांच्या गुण कर्म स्वभावाला जाणतात ते धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सिद्ध करतात. ते तरुण असूनही वृद्धांचे पिता असतात. ॥ १६ ॥