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ति॒स्रो मा॒तॄस्त्रीन्पि॒तॄन्बिभ्र॒देक॑ ऊ॒र्ध्वस्त॑स्थौ॒ नेमव॑ ग्लापयन्ति। म॒न्त्रय॑न्ते दि॒वो अ॒मुष्य॑ पृ॒ष्ठे वि॑श्व॒विदं॒ वाच॒मवि॑श्वमिन्वाम् ॥

English Transliteration

tisro mātṝs trīn pitṝn bibhrad eka ūrdhvas tasthau nem ava glāpayanti | mantrayante divo amuṣya pṛṣṭhe viśvavidaṁ vācam aviśvaminvām ||

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Pad Path

ति॒स्रः। मा॒तॄः। त्रीन्। पि॒तॄन्। बिभ्र॑त्। एकः॑। ऊ॒र्ध्वः। त॒स्थौ॒। न। ई॒म्। अव॑। ग्ला॒प॒य॒न्ति॒। म॒न्त्रय॑न्ते। दि॒वः। अ॒मुष्य॑। पृ॒ष्ठे। वि॒श्व॒ऽविद॑म्। वाच॑म्। अवि॑श्वऽमिन्वाम् ॥ १.१६४.१०

Rigveda » Mandal:1» Sukta:164» Mantra:10 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:15» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जो (तिस्रः) तीन (मातॄः) उत्तम, मध्यम, अधम, भूमियों तथा (त्रीन्) बिजुली और सूर्यरूप तीन (पितॄन्) पालक अग्नियों को (ईम्) सब ओर से (बिभ्रत्) धारण करता हुआ (ऊर्ध्वः) ऊपर ऊँचा (एकः) एक सूत्रात्मा वायु (तस्थौ) स्थिर होता है जो विद्वान् जन उसको (अव, ग्लापयन्ति) कहते-सुनते अर्थात् उसके विषय में वार्त्तालाप करते हैं तथा (अविश्वमिन्वाम्) जो सबसे न सेवन की गई (विश्वविदम्) सब लोग उसको प्राप्त होते उस (वाचम्) वाणी को (मन्त्रयन्ते) सब ओर से विचारपूर्वक गुप्त कहते हैं वे (अमुष्य) उस दूरस्थ (दिवः) प्रकाशमान सूर्य के (पृष्ठे) परभाग में विराजमान होते हैं, वे (न) नहीं दुःख को प्राप्त होते हैं ॥ १० ॥
Connotation: - जो सूत्रात्मा वायु, अग्नि, जल और पृथिवी को धारण करता है उसको अभ्यास से जानके सत्य वाणी का औरों के लिये उपदेश करे ॥ १० ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

यस्तिस्रो मातॄस्त्रीन् पितॄनीं बिभ्रत्सन्नूर्द्ध्व एकस्तस्थौ विद्वांस ये एतमव ग्लापयन्ति। अविश्वमिन्वां विश्वविदं वाचं मन्त्रयन्ते तेऽमुष्य दिवः पृष्ठे विराजन्ते न ते दुःखमश्नुवते ॥ १० ॥

Word-Meaning: - (तिस्रः) (मातॄः) उत्तमध्यमनिकृष्टरूपा भूमिः (त्रीन्) विद्युत्प्रसिद्धसूर्यस्वरूपानग्नीन् (पितॄन्) पालकान् (बिभ्रत्) धरन् सन् (एकः) सूत्रात्मा वायुः (ऊर्ध्वः) (तस्थौ) तिष्ठति (न) (ईम्) सर्वतः (अव) (ग्लापयन्ति) (मन्त्रयन्ते) गुप्तं भाषन्ते (दिवः) प्रकाशमानस्य (अमुष्य) दूरे स्थितस्थ सूर्यस्य (पृष्ठे) परभागे (विश्वविदम्) विश्वे विदन्ति ताम् (वाचम्) वाणीम् (अविश्वमिन्वाम्) असर्वसेविताम् ॥ १० ॥
Connotation: - यस्सूत्रात्मा वायुरग्निं जलं पृथिवीं च धरति तमभ्यासेन विदित्वा सत्यां वाचमन्येभ्य उपदिशेत् ॥ १० ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो सूत्रात्मा वायू आहे तो अग्नी जल व पृथ्वीला धारण करतो. त्याला अभ्यासाने जाणून या सत्याचा इतरांसाठी उपदेश करावा. ॥ १० ॥