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असि॑ य॒मो अस्या॑दि॒त्यो अ॑र्व॒न्नसि॑ त्रि॒तो गुह्ये॑न व्र॒तेन॑। असि॒ सोमे॑न स॒मया॒ विपृ॑क्त आ॒हुस्ते॒ त्रीणि॑ दि॒वि बन्ध॑नानि ॥

English Transliteration

asi yamo asy ādityo arvann asi trito guhyena vratena | asi somena samayā vipṛkta āhus te trīṇi divi bandhanāni ||

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Pad Path

असि॑। य॒मः। असि॑। आ॒दि॒त्यः। अ॒र्व॒न्। असि॑। त्रि॒तः। गुहे॑न। व्र॒तेन॑। असि॑। सोमे॑न। स॒मया॑। विऽपृ॑क्तः। आ॒हुः। ते॒। त्रीणि॑। दि॒वि। बन्ध॑नानि ॥ १.१६३.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:163» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (यमः) नियम का करनेवाला (असि) है (आदित्यः) अन्तरिक्ष में प्रसिद्ध होनेवाला सूर्यरूप (असि) है, (अर्वन्) सर्वत्र प्राप्त है, (गुह्येन) गुप्त करने योग्य (व्रतेन) शील से (त्रितः) अच्छे प्रकार व्यवहारों का करनेवाला (असि) है, (सोमेन) चन्द्रमा वा ओषधि गण से (समया) समीप में (विपृक्तः) अपने रूप से अलग (असि) है (ते) उस अग्नि के (दिवि) दिव्य पदार्थ में (त्रीणि) तीन (बन्धनानि) प्रयोजन अगले लोगों ने (आहुः) कहे हैं उसको तुम लोग जानो ॥ ३ ॥
Connotation: - जो गूढ़ अग्नि पृथिव्यादि पदार्थों में वायु और ओषधियों में प्राप्त है, जिसके पृथिवी, अन्तरिक्ष और सूर्य में बन्धन हैं, उसको सब मनुष्य जानें ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मनुष्या यो यमोऽस्यादित्योऽस्यर्वन्नसि गुह्येन व्रतेन त्रितोऽसि सोमेन समया विपृक्तोऽसि ते तस्य दिवि त्रीणि बन्धनान्याहुरेनं यूयं वित्त ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (असि) अस्ति। अत्र सर्वत्र पुरुषव्यत्ययः। (यमः) नियन्ता (असि) अस्ति (आदित्यः) अदितावन्तरिक्षे भवः (अर्वन्) सर्वत्र प्राप्तः (असि) अस्ति (त्रितः) सन्तारकः (गुह्येन) गोप्येन (व्रतेन) शीलेन (असि) अस्ति (सोमेन) चन्द्रेणौषधिगणेन वा (समया) सामीप्ये (विपृक्तः) स्वरूपेण संपर्करहितः (आहुः) कथयन्ति (ते) तस्य (त्रीणि) (दिवि) दिव्ये पदार्थे (बन्धनानि) प्रयोजनानि ॥ ३ ॥
Connotation: - यो गूढोऽग्निः पृथिव्यादिवाय्वोषधीषु प्राप्तोऽस्ति यस्य पृथिव्यामन्तरिक्षे सूर्ये च बन्धनानि सन्ति तं सर्वे मनुष्या विजानन्तु ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो गूढ अग्नी पृथ्वी इत्यादी पदार्थात, वायू व औषधीत असतो तो पृथ्वी, अंतरिक्ष व सूर्यामध्येही असतो, हे सर्व माणसांनी जाणावे. ॥ ३ ॥