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उप॒ प्रागा॑त्सु॒मन्मे॑ऽधायि॒ मन्म॑ दे॒वाना॒माशा॒ उप॑ वी॒तपृ॑ष्ठः। अन्वे॑नं॒ विप्रा॒ ऋष॑यो मदन्ति दे॒वानां॑ पु॒ष्टे च॑कृमा सु॒बन्धु॑म् ॥

English Transliteration

upa prāgāt suman me dhāyi manma devānām āśā upa vītapṛṣṭhaḥ | anv enaṁ viprā ṛṣayo madanti devānām puṣṭe cakṛmā subandhum ||

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Pad Path

उप॑। प्र॑। अ॒गा॒त्। सु॒ऽमत्। मे॒। अ॒धा॒यि॒। मन्म॑। दे॒वाना॑म्। आशाः॑। उप॑। वी॒तऽपृ॑ष्ठः। अनु॑। ए॒न॒म्। विप्राः॑। ऋष॑यः। म॒द॒न्ति॒। दे॒वाना॑म्। पु॒ष्टे। च॒कृ॒म॒। सु॒ऽबन्धु॑म् ॥ १.१६२.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:162» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जिसने (देवानाम्) विद्वानों का और (मे) मेरे (मन्म) विज्ञान और (आशाः) प्राप्ति की इच्छाओं को (उप, अधायि) समीप होकर धारण किया वा जो (सुमत्) सुन्दर मानता (वीतपृष्ठः) सिद्धान्तों में व्याप्त हुआ विद्वान् जन उक्त ज्ञान और उक्त आशाओं को (उप, प्र अगात्) समीप होकर अच्छे प्रकार प्राप्त हो वा जो (ऋषयः) वेदार्थज्ञानवाले (विप्राः) धीरबुद्धि जन (सुबन्धुम्) जिसके सुन्दर भाई हैं उसको (अनु, मदन्ति) अनुमोदित करते हैं, (एनम्) इस सुबन्धु सज्जन को उक्त (देवानाम्) व्यास साक्षात् कृतशास्त्रसिद्धान्त विद्वान् जनों को (पुष्टे) पुष्टियुक्त व्यवहार में हम लोग (चकृम) करें अर्थात् नियत करें ॥ ७ ॥
Connotation: - जो विद्वानों के सिद्धान्त किये हुए विज्ञान का धारण कर तदनुकूल हो विद्वान् होते हैं, वे शरीर और आत्मा की पुष्टि से युक्त होते हैं ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

येन देवानां मे मम च मन्माशाश्चोपाधायि यः सुमद्वीतपृष्ठो विद्वानेतदेताश्चोपप्रागात्। ये ऋषयो विप्राः सुबन्धुमनुमदन्त्येनं तेषां देवानां पुष्टे वयं चकृम ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (उप) समीपे (प्र) (अगात्) गच्छतु प्राप्नोतु (सुमत्) यः सुष्ठु मन्यते जानाति (मे) मम (अधायि) ध्रियते (मन्म) विज्ञानम् (देवानाम्) विदुषाम् (आशाः) प्राप्तीच्छाः (उप) (वीतपृष्ठः) वीता व्याप्ताः पृष्ठा विद्यासिद्धान्ता येन सः (अनु) (एनम्) (विप्राः) मेधाविनः (ऋषयः) वेदार्थवेत्तारः (मदन्ति) आनन्दयन्ति (देवानाम्) आप्तानाम् (पुष्टे) पुष्टियुक्ते व्यवहारे (चकृम) कुर्याम। अत्राऽन्येषामपीति दीर्घः। (सुबन्धुम्) शोभना बन्धवो यस्य तम् ॥ ७ ॥
Connotation: - ये विद्वत्सिद्धान्तितं विज्ञानं धृत्वा तदनुकूला भूत्वा विद्वांसो जायन्ते ते शरीरात्मपुष्टियुक्ता भवन्ति ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वानांच्या सिद्धान्तानुसार विज्ञान धारण करून त्याप्रमाणे बनतात व विद्वान होतात त्यांच्या शरीर व आत्म्याची पुष्टी होते. ॥ ७ ॥