Go To Mantra

यू॒प॒व्र॒स्का उ॒त ये यू॑पवा॒हाश्च॒षालं॒ ये अ॑श्वयू॒पाय॒ तक्ष॑ति। ये चार्व॑ते॒ पच॑नं स॒म्भर॑न्त्यु॒तो तेषा॑म॒भिगू॑र्तिर्न इन्वतु ॥

English Transliteration

yūpavraskā uta ye yūpavāhāś caṣālaṁ ye aśvayūpāya takṣati | ye cārvate pacanaṁ sambharanty uto teṣām abhigūrtir na invatu ||

Mantra Audio
Pad Path

यू॒प॒ऽव्र॒स्काः। उ॒त। ये। यू॒प॒ऽवा॒हाः। च॒षाल॑म्। ये। अ॒श्व॒ऽयू॒पाय॑। तक्ष॑ति। ये। च॒। अर्व॑ते। पच॑नम्। स॒म्ऽभर॑न्ति। उ॒तो इति॑। तेषा॑म्। अ॒भिऽगू॑र्तिः। नः॒। इ॒न्व॒तु॒ ॥ १.१६२.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:162» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (ये) जो (यूपव्रस्का) खभ्भे के लिये काष्ठ काटनेवाले (उत) और भी (ये) जो (यूपवाहाः) खभ्भे को प्राप्त करानेवाले जन (अश्वयूपाय) घोड़ों के बाँधने के लिये (चषालम्) किसी विशेष वृक्ष को (तक्षति) काटते हैं (वे, च) और जो (अर्वते) घोड़े के लिये (पचनम्) पकाने को (संभरन्ति) धारण करते और पुष्टि करते हैं, जो (तेषाम्) उनके बीच (उतो) निश्चय से (अभिगूर्त्तिः) सब ओर से उद्यमी है वह (नः) हम लोगों को (इन्वतु) प्राप्त होवे ॥ ६ ॥
Connotation: - जो मनुष्य घोड़े आदि पशुओं के बाँधने के लिये काठ के खभ्भे वा खूँटे करते बनाते हैं वा जो घोड़ों के राखन को पदार्थ दाना, घास, चारा, घुड़सार आदि स्वीकार करते बनाते हैं, वे उद्यमी होकर सुखों को प्राप्त होते हैं ॥ ६ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

ये यूपव्रस्का उत ये यूपवाहा अश्वयूपाय चषालं तक्षति। ये चार्वते पचनं संभरन्ति यस्तेषामुतो अभिगूर्त्तिरस्ति स नोऽस्मानिन्वतु ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (यूपव्रस्काः) यूपाय स्तम्भाय ये वृश्चन्ति ते (उत) अपि (ये) (यूपवाहाः) ये यूपं वहन्ति प्रापयन्ति (चषालम्) वृक्षविशेषम् (ये) (अश्वयूपाय) अश्वानां बन्धनाय (तक्षति) छिन्दति। अत्र वचनव्यत्ययेनैकवचनम्। (ये) (च) (अर्वते) अश्वाय (पचनम्) (संभरन्ति) (उतो) अपि (तेषाम्) (अभिगूर्त्तिः) अभितः सर्वतो गूर्त्तिरुद्यमो यस्य सः (नः) अस्मान् (इन्वतु) प्राप्नोतु ॥ ६ ॥
Connotation: - ये मनुष्या अश्वादिबन्धनाय काष्ठानां यूपान् कुर्वन्ति ये चाश्वानां पालनाय पदार्थान् स्वीकुर्वन्ति ते उद्यमिनो भूत्वा सुखानि प्राप्नुवन्ति ॥ ६ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे घोडे इत्यादी पशूंना बांधण्यासाठी लाकडाचे खांब, खुंटे तयार करतात, जी घोड्याचे रक्षण, पालन करण्यासाठी निरनिराळे खाद्यपदार्थ दाणे, गवत, चारा इत्यादी स्वीकारतात ती उद्योगी बनून सुख प्राप्त करतात. ॥ ६ ॥