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मा नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो अर्य॒मायुरिन्द्र॑ ऋभु॒क्षा म॒रुत॒: परि॑ ख्यन्। यद्वा॒जिनो॑ दे॒वजा॑तस्य॒ सप्ते॑: प्रव॒क्ष्यामो॑ वि॒दथे॑ वी॒र्या॑णि ॥

English Transliteration

mā no mitro varuṇo aryamāyur indra ṛbhukṣā marutaḥ pari khyan | yad vājino devajātasya sapteḥ pravakṣyāmo vidathe vīryāṇi ||

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Pad Path

मा। नः॒। मि॒त्रः। वरु॑णः। अ॒र्य॒मा। आ॒युः। इन्द्रः॑। ऋ॒भु॒क्षाः। म॒रुतः॑। परि॑। ख्य॒न्। यत्। वा॒जिनः॑। दे॒वऽजा॑तस्य। सप्तेः॑। प्र॒ऽव॒क्ष्यामः॑। वि॒दथे॑। वी॒र्या॑णि ॥ १.१६२.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:162» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ बासठवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में घोड़े और बिजुली रूप से व्याप्त जो अग्नि है, उसकी विद्या का वर्णन करते हैं ।

Word-Meaning: - ऋतु-ऋतु में यज्ञ करनेहारे हम लोग (विदथे) संग्राम में (यत्) जिस (वाजिनः) वेगवान् (देवजातस्य) विद्वानों के वा दिव्य गुणों से प्रकट हुए (सप्तेः) घोड़े के (वीर्याणि) पराक्रमों को (प्रवक्ष्यामः) कहेंगे, उस (नः) हमारे घोड़ों के पराक्रमों को (मित्रः) मित्र (वरुणः) श्रेष्ठ (अर्यमा) न्यायाधीश (आयुः) ज्ञाता (इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् (ऋभुक्षाः) बुद्धिमान् और (मरुतः) ऋत्विज् लोग (मा, परि, ख्यन्) छोड़ के मत कहें और उसके अनुकूल उसकी प्रशंसा करें ॥ १ ॥
Connotation: - मनुष्यों को प्रशंसित बलवान् अच्छे सीखे हुए घोड़े ग्रहण करने चाहिये, जिससे सर्वत्र विजय और ऐश्वर्यों को प्राप्त हों ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाऽश्वस्य विद्युद्रूपेण व्याप्तस्याग्नेश्च विद्यामाह ।

Anvay:

ऋत्विजो वयं विदथे यद्वाजिनो देवजातस्य सप्तेर्वीर्य्याणि प्रवक्ष्यामस्तस्य नस्तुरङ्गस्य वीर्य्याणि मित्रो वरुणोऽर्यमायुरिन्द्र ऋभुक्षा मरुतश्च मा परिख्यन् ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (मा) (नः) अस्माकम् (मित्रः) सखा (वरुणः) वरः (अर्य्यमा) न्यायाधीशः (आयुः) ज्ञाता (इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् (ऋभुक्षाः) मेधावी (मरुतः) ऋत्विजः (परि) वर्जने (ख्यन्) ख्यापयेयुः (यत्) यस्य (वाजिनः) वेगवतः (देवजातस्य) देवेभ्यो दिव्येभ्यो गुणेभ्यः प्रकटस्य (सप्तेः) अश्वस्य (प्रवक्ष्यामः) (विदथे) संग्रामे (वीर्य्याणि) पराक्रमान् ॥ १ ॥
Connotation: - मनुष्यैः प्रशंसितबलवन्तः सुशिक्षिता अश्वा ग्राह्या ये सर्वत्र विजयैश्वर्य्याणि प्राप्नुयुः ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अश्वरूपी अग्निविद्येचे प्रतिपादन केल्याने या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती आहे, हे जाणले पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी प्रशंसित बलवान प्रशिक्षित घोडे घ्यावेत. ज्यामुळे सर्वत्र विजय मिळावा व ऐश्वर्य प्राप्त व्हावे. ॥ १ ॥