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स वह्नि॑: पु॒त्रः पि॒त्रोः प॒वित्र॑वान्पु॒नाति॒ धीरो॒ भुव॑नानि मा॒यया॑। धे॒नुं च॒ पृश्निं॑ वृष॒भं सु॒रेत॑सं वि॒श्वाहा॑ शु॒क्रं पयो॑ अस्य दुक्षत ॥

English Transliteration

sa vahniḥ putraḥ pitroḥ pavitravān punāti dhīro bhuvanāni māyayā | dhenuṁ ca pṛśniṁ vṛṣabhaṁ suretasaṁ viśvāhā śukram payo asya dukṣata ||

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Pad Path

सः। वह्निः॑। पु॒त्रः। पि॒त्रोः। प॒वित्र॑ऽवान्। पु॒नाति॑। धीरः॑। भुव॑नानि। मा॒यया॑। धे॒नुम्। च॒। पृश्नि॑म्। वृ॒ष॒भम्। सु॒ऽरेत॑सम्। वि॒श्वाहा॑। शु॒क्रम्। पयः॑। अ॒स्य॒। धु॒क्ष॒त॒ ॥ १.१६०.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:160» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (पवित्रवान्) जिसके बहुत शुद्ध कर्म वर्त्तमान (पित्रोः) तथा जो वायु और आकाश के (पुत्रः) सन्तान के समान वर्त्तमान है (सः) वह (वह्निः) पदार्थों की प्राप्ति करानेवाला अग्नि (भुवनानि) लोकों को (पुनाति) पवित्र करता है। जो (धेनुम्) गौ के समान वर्त्तमान वाणी (सुरेतसम्) सुन्दर जिसका बल जो (वृषभम्) सब लोकों को रोकनेवाला (पृश्निम्) सूर्य है उस (शुक्रम्) शीघ्रता करनेवाले को और (पयः) दूध को (च) और (विश्वाहा) सब दिनों को पवित्र करता है, जिसको (धीरः) ध्यानवान् पुरुष (मायया) उत्तम बुद्धि से जानता है (अस्य) उस अग्नि की उत्तेजना से अभीष्ट सिद्धि को तुम (दुक्षत) पूरी करो ॥ ३ ॥
Connotation: - जैसे सूर्य समस्त लोकों को धारण करता और पवित्र करता है, वैसे सुपुत्र कुल को पवित्र करते हैं ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मनुष्या पवित्रवान् पित्रोः पुत्र इव वर्त्तमानः स वह्निर्भुवनानि पुनाति। यो धेनुं सुरेतसं वृषभं पृश्निं शुक्रम्पयश्च विश्वाहा पुनाति। यं धीरो मायया जानात्यस्य सकाशादभीष्टसिद्धिं यूयं दुक्षत ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (सः) (वह्निः) वोढा (पुत्रः) अपत्यमिव (पित्रोः) वाय्वाकाशयोः (पवित्रवान्) बहूनि पवित्राणि कर्माणि विद्यन्ते यस्य सः (पुनाति) पवित्रीकरोति (धीरः) ध्यानवान् (भुवनानि) लोकान् (मायया) प्रज्ञया (धेनुम्) गामिव वर्त्तमानां वाणीम् (च) (पृश्निम्) सूर्यम् (वृषभम्) सर्वलोकस्तम्भकम् (सुरेतसम्) सुष्ठुबलम् (विश्वाहा) सर्वाणि दिनानि (शुक्रम्) आशुकरम् (पयः) दुग्धम् (अस्य) वह्नेः (दुक्षत) प्रदुग्ध। अत्र वाच्छन्दसीति भषभावः ॥ ३ ॥
Connotation: - यथा सूर्य्यः सर्वाँल्लोकान् धरति पवित्रयति तथा सुपुत्राः कुलं शुन्धन्ति ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा सूर्य संपूर्ण लोकांना (गोलांना) धारण करतो व पवित्र करतो तसे सुपुत्र कुलाला पवित्र करतात. ॥ ३ ॥