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इ॒मा धा॒ना घृ॑त॒स्नुवो॒ हरी॑ इ॒होप॑वक्षतः। इन्द्रं॑ सु॒खत॑मे॒ रथे॑॥

English Transliteration

imā dhānā ghṛtasnuvo harī ihopa vakṣataḥ | indraṁ sukhatame rathe ||

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Pad Path

इ॒माः। धा॒नाः। घृ॒त॒ऽस्नुवः॑। हरी॒ इति॑। इ॒ह। उप॑। व॒क्ष॒तः॒। इन्द्र॑म्। सु॒खऽत॑मे। रथे॑॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:16» Mantra:2 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:30» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर भी अगले मन्त्र में सूर्य्यलोक के गुणों का ही उपदेश किया है-

Word-Meaning: - (हरी) जो पदार्थों को हरनेवाले सूर्य्य के कृष्ण वा शुक्ल पक्ष हैं, वे (इह) इस लोक में (इमाः) इन (धानाः) दीप्तियों को तथा (इन्द्रम्) सूर्य्यलोक को (सुखतमे) जो बहुत अच्छी प्रकार सुखहेतु (रथे) रमण करने योग्य विमान आदि रथों के (उप) समीप (वक्षतः) प्राप्त कराते हैं॥२॥
Connotation: - जो इस संसार में रात्रि और दिन शुक्ल तथा कृष्णपक्ष दक्षिणायन और उत्तरायण हरण करनेवाले कहलाते हैं, उनसे सूर्य्यलोक आनन्दरूप व्यवहारों को प्राप्त कराता है॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तद्गुणा उपदिश्यन्ते।

Anvay:

हरी कृष्णशुक्लपक्षाविहेमा घृतस्नुवो धाना इन्द्रं सुखतमे रथ उपवक्षत उपगतं वहतः प्रापयतः॥१२॥

Word-Meaning: - (इमाः) प्रत्यक्षाः (धानाः) धीयन्ते यासु ता दीप्तयः। धापृवस्य० (उणा०३.६) इति नः प्रत्ययः। (घृतस्नुवः) घृतमुदकं स्नुवन्ति प्रस्रवन्ति यास्ताः (हरी) हरति याभ्यां तौ। कृष्णशुक्लपक्षौ वा पूर्वपक्षापरपक्षौ वा इन्द्रस्य हरी ताभ्यां हीदं सर्वं हरति (षड्विंश ब्रा०.१.१) (इह) अस्मिन्संसारे (उप) सामीप्ये (वक्षतः) वहतः। अत्र लडर्थे लेट्। (इन्द्रम्) सूर्य्यलोकम् (सुखतमे) अतिशयेन सुखहेतौ (रथे) रमयति येन तस्मिन्। हनिकुषिनीरमि० (उणा०२.२) इति क्थन् प्रत्ययः॥२॥
Connotation: - यावस्मिन्संसारे रात्रिदिवसौ शुक्लकृष्णपक्षौ दक्षिणायनोत्तरायणौ हरीसंज्ञौ स्तस्ताभ्यां सूर्य्यः सर्वानन्दव्यवहारान् प्रापयति॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या संसारात रात्र व दिवस, शुक्ल व कृष्णपक्ष, दक्षिणायन व उत्तरायण हरण करविणारे म्हणविले जातात, त्यांच्याकडून सूर्यलोक आनंदरूपी व्यवहार प्राप्त करतो. ॥ २ ॥