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प्र द्यावा॑ य॒ज्ञैः पृ॑थि॒वी ऋ॑ता॒वृधा॑ म॒ही स्तु॑षे वि॒दथे॑षु॒ प्रचे॑तसा। दे॒वेभि॒र्ये दे॒वपु॑त्रे सु॒दंस॑से॒त्था धि॒या वार्या॑णि प्र॒भूष॑तः ॥

English Transliteration

pra dyāvā yajñaiḥ pṛthivī ṛtāvṛdhā mahī stuṣe vidatheṣu pracetasā | devebhir ye devaputre sudaṁsasetthā dhiyā vāryāṇi prabhūṣataḥ ||

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Pad Path

प्र। द्यावा॑। य॒ज्ञैः। पृ॒थि॒वी इति॑। ऋ॒त॒ऽवृधा॑। म॒ही इति॑। स्तु॒षे॒। वि॒दथे॑षु। प्रऽचे॑तसा। दे॒वेभिः। ये इति॑। दे॒वऽपु॑त्रे॒ इति॑ दे॒वऽपु॑त्रे। सु॒ऽदंस॑सा। इ॒त्था। धि॒या। वार्या॑णि। प्र॒ऽभूष॑तः ॥ १.१५९.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:159» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:2» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ उनसठवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में बिजुली के विषय में कहा है ।

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! (ये) जो (ऋतावृधा) कारण से बढ़े हुए (प्रचेतसा) उत्तमता से प्रबल ज्ञान करानेहारे (देवपुत्रे) दिव्य प्रकृति के अंशों से पुत्रों के समान उत्पन्न हुए (सुदंससा) प्रशंसित कर्मवाले (मही) बड़े (द्यावापृथिवी) सूर्यमण्डल और भूमिमण्डल (यज्ञैः) मिले हुए व्यवहारों से (विदथेषु) जानने योग्य पदार्थों में (देवेभिः) दिव्य जलादि पदार्थों और (धिया) कर्म के साथ (वार्य्याणि) स्वीकार करने योग्य पदार्थों को (प्रभूषतः) सुभूषित करते हैं और आप उन की (प्र, स्तुषे) प्रशंसा करते हैं (इत्था) इस प्रकार उनकी हम लोग भी प्रशंसा करें ॥ १ ॥
Connotation: - जो मनुष्य उत्तम यत्न के साथ पृथिवी और सूर्यमण्डल के गुण, कर्म, स्वभाव को यथावत् जानें, वे अतुल सुख से भूषित हों ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्युद्विषयमाह ।

Anvay:

हे विद्वन् ये ऋतावृधा प्रचेतसा देवपुत्रे सुदंससा मही द्यावापृथिवी यज्ञैर्विदथेषु देवेभिर्धिया च वार्याणि प्रभूषतः। त्वं च प्रस्तुष इत्था ते वयमपि नित्यं प्रशंसेम ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (प्र) (द्यावा) द्यौः (यज्ञैः) सङ्गतैर्व्यवहारैः (पृथिवी) भूमिः (ऋतावृधा) कारणेन वर्द्धिते (मही) महत्यौ (स्तुषे) प्रशंससि (विदथेषु) वेदितव्येषु पदार्थेषु (प्रचेतसा) प्रकृष्टतया प्रज्ञाननिमित्ते (देवेभिः) दिव्यैरबादिभिः पदार्थैः सह (ये) (देवपुत्रे) देवैर्दिव्यैः प्रकृत्यंशैः पुत्र इव प्रजाते (सुदंससा) प्रशंसितकर्मणी (इत्था) अनेन प्रकारेण (धिया) कर्मणा (वार्याणि) वरितुमर्हाणि वस्तूनि (प्रभूषतः) प्रकृष्टतयाऽलंकुरुतः ॥ १ ॥
Connotation: - ये मनुष्याः प्रयत्नेन क्षितिसूर्ययोर्गुणकर्मस्वभावान् यथावद्विजानीयुस्तेऽतुलेन सुखेनाऽलंकृताः स्युः ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्युत व भूमीप्रमाणे विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागील सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे उत्तम यत्न करून पृथ्वी व सूर्यमंडळाचे गुण, कर्म, स्वभाव यथायोग्य जाणतात ते अतुल सुख भोगतात. ॥ १ ॥