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प्रस्तु॑तिर्वां॒ धाम॒ न प्रयु॑क्ति॒रया॑मि मित्रावरुणा सुवृ॒क्तिः। अ॒नक्ति॒ यद्वां॑ वि॒दथे॑षु॒ होता॑ सु॒म्नं वां॑ सू॒रिर्वृ॑षणा॒विय॑क्षन् ॥

English Transliteration

prastutir vāṁ dhāma na prayuktir ayāmi mitrāvaruṇā suvṛktiḥ | anakti yad vāṁ vidatheṣu hotā sumnaṁ vāṁ sūrir vṛṣaṇāv iyakṣan ||

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Pad Path

प्रऽस्तु॑तिः। वा॒म्। धाम॑। न। प्रऽयु॑क्तिः। अया॑मि। मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒। सु॒ऽवृ॒क्तिः। अ॒नक्ति॑। यत्। वा॒म्। वि॒दथे॑षु। होता॑। सु॒म्नम्। वा॒म्। सू॒रिः। वृ॒ष॒णौ॒। इय॑क्षन् ॥ १.१५३.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:153» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:23» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (वृषणौ) सुख वृष्टि करनेहारे (मित्रावरुणा) मित्र और श्रेष्ठ जन (इयक्षन्) प्राप्त होने की इच्छा करता हुआ (सूरिः) विद्वान् (सुवृक्तिः) जिसका सुन्दर रोकना (प्रस्तुतिः) और उत्तम स्तुति (होता) वह ग्रहण करनेवाला (प्रयुक्तिः) उत्तम युक्ति में (धाम) स्थान के (न) समान (वाम्) तुम दोनों को (अयामि) प्राप्त होता हूँ। वा (यत्) जो विद्वान् (वाम्) तुम दोनों से (विदथेषु) विज्ञानों में (अनक्ति) कामना करता है वा (वाम्) तुम दोनों के लिये (सुम्नम्) सुख देता है, उसको मैं प्राप्त होता हूँ ॥ २ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो मनुष्य पाप हरने और प्रशंसित गुणों को ग्रहण करनेवाले, जिनको विद्वानों का सङ्ग प्यारा है और सबके लिये सुख देनेवाले होते हैं, वे कल्याण सेवनेवाले होते हैं ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

वृषणौ मित्रावरुणेयक्षन् सूरिः सुवृक्तिः प्रस्तुतिर्होता प्रयुक्तिरहं धाम न वामयामि यद्यः सूरिर्वां विदथेष्वनक्ति वां सुम्नं वां प्रयच्छति तमप्यहमयामि ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (प्रस्तुतिः) प्रकृष्टा स्तुतिर्यस्य सः (वाम्) युवाभ्याम् (धाम) (न) इव (प्रयुक्तिः) प्रकृष्टा युक्तिर्यस्य सः (अयामि) एमि प्राप्नोमि (मित्रावरुणा) सुहृद्वरावध्यापकोपदेष्टारौ (सुवृक्तिः) शोभना वृक्तिर्वर्जनं यस्य सः (अनक्ति) कामयते (यत्) (वाम्) युवाभ्याम् (विदथेषु) विज्ञानेषु (होता) दाता (सुम्नम्) सुखम् (वाम्) युवाभ्याम् (सूरिः) विद्वान् (वृषणौ) सुखवर्षकौ (इयक्षन्) प्राप्तुमिच्छन् ॥ २ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये मनुष्या पापहारकाः प्रशंसितगुणग्राहका विद्वत्सङ्गप्रियाः सर्वेभ्यः सुखप्रदा भवन्ति ते कल्याणभाजो भवन्ति ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जी माणसे पाप नाहीसे करून प्रशंसित गुणांचे ग्रहण करणारी असतात. ज्यांना विद्वानांचा संग प्रिय वाटतो ती सर्वांना सुख देणारी व कल्याणकारी असतात. ॥ २ ॥