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प्र सा क्षि॒तिर॑सुर॒ या महि॑ प्रि॒य ऋता॑वानावृ॒तमा घो॑षथो बृ॒हत्। यु॒वं दि॒वो बृ॑ह॒तो दक्ष॑मा॒भुवं॒ गां न धु॒र्युप॑ युञ्जाथे अ॒पः ॥

English Transliteration

pra sā kṣitir asura yā mahi priya ṛtāvānāv ṛtam ā ghoṣatho bṛhat | yuvaṁ divo bṛhato dakṣam ābhuvaṁ gāṁ na dhury upa yuñjāthe apaḥ ||

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Pad Path

प्र। सा। क्षि॒तिः। अ॒सु॒र॒। या। महि॑। प्रि॒या। ऋत॑ऽवानौ। ऋ॒तम्। आ। घो॒ष॒थः॒। बृ॒हत्। यु॒वम्। दि॒वः। बृ॒ह॒तः॒। दक्ष॑म्। आ॒ऽभुव॑म्। गाम्। न। धु॒रि। उप॑। यु॒ञ्जा॒थे॒ इति॑। अ॒पः ॥ १.१५१.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:151» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:20» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ।

Word-Meaning: - हे (ऋतावाना) सत्य आचरण करनेवाले (असुर) प्राण के समान बलवान् मित्र-वरुण=राजा-प्रजा-जन ! (युवम्) तुम दोनों जिस कारण (बृहतः) अति उन्नति को प्राप्त (दिवः) प्रकाश (दक्षम्) बल और (अपः) कर्म को (धुरि) गाड़ी चलाने की धुरी के निमित्त (आभुवम्) अच्छे प्रकार होनेवाले (गाम्) प्रबल बैल के (न) समान (उप, युञ्जाथे) उपयोग में लाते हो और (बृहत्) अत्यन्त (ऋतम्) सत्य व्यवहार को (आघोषथः) विशेषता से शब्दायमान कर प्रख्यात करते हो इससे तुम दोनों को (या) जो (महि) अत्यन्त (प्रिया) सुखकारिणी (क्षितिः) भूमि है (सा) वह (प्र) प्राप्त होवे ॥ ४ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो सत्य का आचरण करते और उसका उपदेश करते हैं, वे असंख्य बल को प्राप्त होकर पृथिवी के राज्य को भोगते हैं ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे ऋतावानावसुर युवं यतो बृहतो दिवो दक्षमपश्च धुर्याभुवं गां नोपयुञ्जाथे बृहदृतमा घोषथस्तस्माद्युवां या महि प्रिया क्षितिस्सा प्राप्नोतु ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (प्र) (सा) (क्षितिः) (असुर) प्राणवद्बलिष्ठौ। अत्राकारादेशो बहुलं छन्दसीति ह्रस्वश्च। (या) (महि) महति (प्रिया) सुखकारिणी (ऋतावानौ) सत्याचारिणौ (ऋतम्) सत्यम् (आ) (घोषथः) विशेषेण शब्दयथः (बृहत्) महत् (युवम्) युवाम् (दिवः) राज्यप्रकाशस्य (बृहतः) अतिवृद्धस्य (दक्षम्) बलम् (आभुवम्) समन्ताद्भवनशीलम् (गाम्) बलीवर्दम् (न) इव (धुरि) शकटादिवाहने (उप) (युञ्जाथे) नियुक्तौ भवतः (अपः) कर्म ॥ ४ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये सत्यमाचरन्त्युपदिशन्ति तेऽसंख्यं बलं प्राप्य महाराज्यं भुञ्जते ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे सत्याचे आचरण करतात व त्याचा उपदेश करतात ते असंख्य बल प्राप्त करून पृथ्वीचे राज्य भोगतात. ॥ ४ ॥