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पु॒रु त्वा॑ दा॒श्वान्वो॑चे॒ऽरिर॑ग्ने॒ तव॑ स्वि॒दा। तो॒दस्ये॑व शर॒ण आ म॒हस्य॑ ॥

English Transliteration

puru tvā dāśvān voce rir agne tava svid ā | todasyeva śaraṇa ā mahasya ||

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Pad Path

पु॒रु। त्वा॒। दा॒श्वान्। वो॒चे॒। अ॒रिः। अ॒ग्ने॒। तव॑। स्वि॒त्। आ। तो॒दस्य॑ऽइव। श॒र॒णे। आ। म॒हस्य॑ ॥ १.१५०.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:150» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:19» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ पचासवें सूक्त का प्रारम्भ है। उसके मन्त्र में विद्वानों के गुणों का उपदेश करते हैं ।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वान् ! (दाश्वान्) दान देने और (अरिः) व्यवहारों की प्राप्ति करानेवाला मैं (महस्य) महान् (तोदस्येव) व्यथा देनेवाले के जैसे वैसे (तव) आपके (स्वित्) ही (आ, शरणे) अच्छे प्रकार घर में (त्वा) आपको (पुरु, आ, वोचे) बहुत भली-भाँति से कहूँ ॥ १ ॥
Connotation: - जो जिसका रक्खा हुआ सेवक हो, वह उसकी आज्ञा का पालन करके कृतार्थ होवे ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणानाह ।

Anvay:

हे अग्ने दाश्वानरिरहं महस्य तोदस्येव तव स्विदा शरणे त्वा पुर्वा वोचे ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (पुरु) बहु (त्वा) त्वाम् (दाश्वान्) दाता (वोचे) वदेयम् (अरिः) प्रापकः (अग्ने) विद्वन् (तव) (स्वित्) एव (आ) (तोदस्येव) व्यथकस्येव (शरणे) गृहे (आ) (महस्य) महतः ॥ १ ॥
Connotation: - यो यस्य भृत्यो भवेत् स तस्याऽज्ञां पालयित्वा कृतार्थो भवेत् ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर मागच्या सूक्ताच्या अर्थाची संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जो ज्याचा सेवक असेल त्याने त्याची आज्ञा पालन करून कृतार्थ व्हावे. ॥ १ ॥