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कु॒विन्नो॑ अ॒ग्निरु॒चथ॑स्य॒ वीरस॒द्वसु॑ष्कु॒विद्वसु॑भि॒: काम॑मा॒वर॑त्। चो॒दः कु॒वित्तु॑तु॒ज्यात्सा॒तये॒ धिय॒: शुचि॑प्रतीकं॒ तम॒या धि॒या गृ॑णे ॥

English Transliteration

kuvin no agnir ucathasya vīr asad vasuṣ kuvid vasubhiḥ kāmam āvarat | codaḥ kuvit tutujyāt sātaye dhiyaḥ śucipratīkaṁ tam ayā dhiyā gṛṇe ||

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Pad Path

कु॒वित्। नः॒। अ॒ग्निः। उ॒चथ॑स्य। वीः। अस॑त्। वसुः॑। कु॒वित्। वसु॑ऽभिः। काम॑म्। आ॒ऽवर॑त्। चो॒दः। कु॒वित्। तु॒तु॒ज्यात्। सा॒तये॑। धियः॑। शुचि॑ऽप्रतीकम्। तम्। अ॒या। धि॒या। गृ॒णे॒ ॥ १.१४३.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:143» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:12» Mantra:6 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जो (कुवित्) बड़ा (अग्निः) बिजुली आदि रूपवाला अग्निः (नः) हमारे लिये (उचथस्य) उचित पदार्थ का (वीः) व्यापक (असत्) हो वा (वसुभिः) वसानेवालों के साथ (कुवित्) बड़ा (वसुः) वसानेवाला (कामम्) काम को (आवरत्) भली भाँति स्वीकार करे वा (सातये) विभाग के लिये (कुवित्) बड़ा प्रशंसित जन (चोदः) प्रेरणा दे वा (धियः) बुद्धियों को (तुतुज्यात्) बलवती करे (तम्) उस (शुचिप्रतीकम्) पवित्र प्रतीति देनेवाले जन की (अया) इस (धिया) बुद्धि वा कर्म से (गृणे) मैं स्तुति करता हूँ ॥ ६ ॥
Connotation: - जो बिजुली के समान उचित काम प्राप्त कराने और बुद्धि बल अत्यन्त देनेवाले बड़े प्रशंसित विद्वान् अपनी बुद्धि से सब मनुष्यों को विद्वान् करते हैं, उनकी सब लोग प्रशंसा करें ॥ ६ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

यः कुविदग्निर्न उचथस्य वीरसद्वसुभिस्सह कुविद्वसुः काममावरत्सातये कुविच्चोदो धियस्तुतुज्यात् तं शुचिप्रतीकमया धियाऽहं गृणे ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (कुवित्) महान् (नः) अस्मभ्यम् (अग्निः) विद्युदादिस्वरूपः (उचथस्य) उचितस्य (वीः) व्यापकः (असत्) भवेत् (वसुः) वासयिता (कुवित्) महान् (वसुभिः) वासयितृभिः (कामम्) (आवरत्) आवृणुयात् (चोदः) चुद्यात् प्रेरयेत् (कुवित्) महान् (तुतुज्यात्) बलयेत् (सातये) विभागाय (धियः) प्रज्ञाः (शुचिप्रतीकम्) (तम्) (अया) अनया। अत्र वाच्छन्दसीत्येकारादेशाभावः। (धिया) प्रज्ञया कर्मणा वा (गृणे) स्तौमि ॥ ६ ॥
Connotation: - ये विद्युद्वदुचितकामप्रापका बुद्धिबलप्रदायका महान्तो विद्वांसः स्वबुद्ध्या सर्वाञ्जनान् विदुषः कुर्वन्ति तान् सर्वे प्रशंसन्तु ॥ ६ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्युतप्रमाणे योग्य काम प्राप्त करविणारे व अत्यंत बुद्धी बल देणारे, मोठे प्रशंसित विद्वान आपल्या बुद्धीने सर्व माणसांना विद्वान करतात, त्यांची प्रशंसा सर्व लोकांनी करावी. ॥ ६ ॥