ऐभि॑रग्ने॒ दुवो॒ गिरो॒ विश्वे॑भिः॒ सोम॑पीतये। दे॒वेभि॑र्याहि॒ यक्षि॑ च॥
aibhir agne duvo giro viśvebhiḥ somapītaye | devebhir yāhi yakṣi ca ||
आ। ए॒भिः॒। अ॒ग्ने॒। दुवः॑। गिरः॑। विश्वे॑भिः। सोम॑ऽपीतये। दे॒वेभिः॑। या॒हि॒। यक्षि॑। च॒॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब चौदहवें सूक्त का आरम्भ है। उसके पहिले मन्त्र में बहुत पदार्थों के साथ संयोग करनेवाले ईश्वर और भौतिक अग्नि का उपदेश किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
तत्रादितो बहुभिः पदार्थैः सह संयोगिनावीश्वरभौतिकावग्नी उपदिश्येते।
हे अग्ने जगदीश्वर ! त्वमेभिर्विश्वेभिर्देवेभिः सह सोमपीतये दुवो गिरो वेदवाणीर्याहि प्राप्तो भव। ईश्वरस्य दुवः परिचर्य्यां गिरो वेदवाणीश्चाहं यक्षि सङ्गमयामीत्येकः।यमग्निमेभिर्विश्वेभिर्देवेभिः सह समागमेन सोमपीतयेऽहं यक्षि यजामीति द्वितीयः॥१॥
MATA SAVITA JOSHI
या देवांचा प्रकाश व क्रियांच्या समुच्चयाने या चौदाव्या सूक्ताची संगती पूर्वोक्त तेराव्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर जाणली पाहिजे.