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ओ षू णो॑ अग्ने शृणुहि॒ त्वमी॑ळि॒तो दे॒वेभ्यो॑ ब्रवसि य॒ज्ञिये॑भ्यो॒ राज॑भ्यो य॒ज्ञिये॑भ्यः। यद्ध॒ त्यामङ्गि॑रोभ्यो धे॒नुं दे॑वा॒ अद॑त्तन। वि तां दु॑ह्रे अर्य॒मा क॒र्तरि॒ सचाँ॑ ए॒ष तां वे॑द मे॒ सचा॑ ॥

English Transliteration

o ṣū ṇo agne śṛṇuhi tvam īḻito devebhyo bravasi yajñiyebhyo rājabhyo yajñiyebhyaḥ | yad dha tyām aṅgirobhyo dhenuṁ devā adattana | vi tāṁ duhre aryamā kartarī sacām̐ eṣa tāṁ veda me sacā ||

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Pad Path

ओ इति॑। सु। नः॒। अ॒ग्ने॒। शृ॒णु॒हि॒। त्वम्। ई॒ळि॒तः। दे॒वेभ्यः॑। ब्र॒व॒सि॒। य॒ज्ञिये॑भ्यः। राज॑ऽभ्यः। य॒ज्ञिये॑भ्यः। यत्। ह॒। त्याम्। अङ्गि॑रःऽभ्यः। धे॒नुम्। दे॒वाः॒। अद॑त्तन। वि। ताम्। दु॒ह्रे॒। अ॒र्य॒मा। क॒र्तरि॑। सचा॑। ए॒षः। ताम्। वे॒द॒। मे॒। सचा॑ ॥ १.१३९.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:139» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:4» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:20» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वान् हम लोगों ने (ईडितः) स्तुति प्रशंसायुक्त किये हुए (त्वम्) आप (यज्ञियेभ्यः) यज्ञानुष्ठान करने को योग्य (देवेभ्यः) विद्वानों और (यज्ञियेभ्यः) अश्वमेधादि यज्ञ करने को योग्य (राजभ्यः) राज्य करनेवाले न्यायाधीशों के लिये (ब्रवसि) कहते हो इस कारण आप (नः) हमारे वचन को (ओ, षु, शृणुहि) शोभनता जैसे हो वैसे ही सुनिये। हे (देवाः) विद्वानो (यत्) (ह, त्याम्) जिस प्रसिद्ध ही (धेनुम्) गुणों की परिपूर्ण करनेवाली वाणी को तुम (अङ्गिरोभ्यः) प्राण विद्या के जाननेवालों के लिये (अदत्तन) देओ (ताम्) उसको और जिसको (कर्त्तरि) कर्म करनेवाले के निमित्त (सचा) सहानुभूति करनेवाला (अर्यमा) न्यायाधीश (वि, दुह्रे) पूरण करता है (ताम्) उस वाणी को (मे) मेरा (सचा) सहायी (एषः) यह न्यायाधीश (वेद) जानता है ॥ ७ ॥
Connotation: - अध्यापकों को योग्यता यह है कि सब विद्यार्थियों को निष्कपटता से समस्त विद्या प्रतिदिन पढ़ा के परीक्षा के लिये उनका पढ़ा हुआ सुनें, जिससे पढ़े हुए को विद्यार्थी जन न भूलें ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे अग्ने अस्माभिरीडितस्त्वं यज्ञियेभ्यो देवेभ्यो यज्ञियेभ्यो राजभ्यश्च ब्रवस्यतस्त्वं नो वच ओषु शृणुहि। हे देवा यद्धं त्यां धेनुं यूयमङ्गिरोभ्योऽदत्तन तां यां च कर्त्तरि सचार्यमा विदुह्रे तां धेनुं मे सचैष वेद ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (ओ) अवधारणे (सु) (नः) अस्माकम् (अग्ने) विद्वन् (शृणुहि) (त्वम्) (ईळितः) स्तुतः (देवेभ्यः) विद्वद्भ्यः (ब्रवसि) ब्रूयाः (यज्ञियेभ्यः) यज्ञमनुष्ठातुं योग्येभ्यः (राजभ्यः) न्यायाऽधीशेभ्यः (यज्ञियेभ्यः) यज्ञमर्हेभ्यः (यत्) याम् (ह) खलु (त्याम्) ताम् (अङ्गिरोभ्यः) प्राणविद्याविद्भ्यः (धेनुम्) दोग्ध्रीं वाचम् (देवाः) विद्वांसः (अदत्तन) दद्यात् (वि) (ताम्) (दुह्रे) प्रपिपर्त्ति (अर्यमा) न्यायेशः (कर्त्तरि) कारके (सचा) सहार्थे। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (एषः) (ताम्) (वेद) जानाति (मे) मम (सचा) ॥ ७ ॥
Connotation: - अध्यापकानां योग्यताऽस्ति सर्वेभ्यो विद्यार्थिभ्यो निष्कपटतयाऽखिला विद्याः प्रत्यहमध्याप्य परीक्षायै तदधीतं शृणुयुः। यतोऽधीतं विद्यार्थिनो न विस्मरेयुः ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - अध्यापकांनी सर्व विद्यार्थ्यांना प्रत्येक दिवशी निष्कपटीपणाने विद्या शिकवावी व परीक्षेत त्यांना शिकविलेले ऐकावे त्यामुळे जे शिकलेले आहे ते विद्यार्थी विसरणार नाहीत. ॥ ७ ॥