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अति॑ वायो सस॒तो या॑हि॒ शश्व॑तो॒ यत्र॒ ग्रावा॒ वद॑ति॒ तत्र॑ गच्छतं गृ॒हमिन्द्र॑श्च गच्छतम्। वि सू॒नृता॒ ददृ॑शे॒ रीय॑ते घृ॒तमा पू॒र्णया॑ नि॒युता॑ याथो अध्व॒रमिन्द्र॑श्च याथो अध्व॒रम् ॥

English Transliteration

ati vāyo sasato yāhi śaśvato yatra grāvā vadati tatra gacchataṁ gṛham indraś ca gacchatam | vi sūnṛtā dadṛśe rīyate ghṛtam ā pūrṇayā niyutā yātho adhvaram indraś ca yātho adhvaram ||

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Pad Path

अति॑। वा॒यो॒ इति॑। स॒स॒तः। या॒हि॒। शश्व॑तः। यत्र॑। ग्रावा॑। वद॑ति। तत्र॑। ग॒च्छ॒त॒म्। गृ॒हम्। इन्द्रः॑। च॒। ग॒च्छ॒त॒म्। वि। सू॒नृता॑। ददृ॑शे। रीय॑ते। घृ॒तम्। आ। पू॒र्णया॑। नि॒ऽयुता॑। या॒थः॒। अ॒ध्व॒रम्। इन्द्रः॑। च॒। या॒थः॒। अ॒ध्व॒रम् ॥ १.१३५.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:135» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:25» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:20» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (वायो) पवन के समान बलवान् विद्वान् ! आप (ससतः) अविद्या को उल्लङ्घन किये और (शश्वतः) सनातन विद्या से युक्त पुरुषों को (याहि) प्राप्त होओ (यत्र) जहाँ (ग्रावा) धीर बुद्धि पुरुष (अति, वदति) अत्यन्त उपदेश करता (तत्र) वहाँ आप (च) और (इन्द्रः) ऐश्वर्ययुक्त मनुष्य (गच्छतम्) जाओ और (गृहम्) घर (गच्छतम्) जाओ जहाँ (सूनृता) उत्तमशिक्षा युक्त सत्यप्रिय वाणी (वि, ददृशे) विशेषता से देखी जाती और (घृतम्) प्रकाशित विज्ञान (आ, रीयते) अच्छे प्रकार सम्बद्ध होता अर्थात् मिलता वहाँ (पूर्णया) पूरी (नियुता) पवन की चाल के समान चाल से जो आप (इन्द्रः, च) और ऐश्वर्य्ययुक्त जन (अध्वरम्) अहिंसादि लक्षण धर्म को (याथः) प्राप्त होते हो, वे तुम दोनों (अध्वरम्) यज्ञ को (याथः) प्राप्त होते हो ॥ ७ ॥
Connotation: - मनुष्य लोग जिस देश वा स्थान में शास्त्रवेत्ता आप्त विद्वान् सत्य का उपदेश करें, उनके स्थान पर जाके उनके उपदेश को नित्य सुना करें, जिससे विद्यायुक्त वाणी और सत्य विज्ञान और धर्मज्ञान को प्राप्त होवें ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ।

Anvay:

हे वायो विद्वँस्त्वं ससतः शश्वतो याहि यत्र ग्रावा वदति तत्र त्वमिन्द्रश्च गच्छतं गृहं गच्छतं यत्र सूनृता विददृशे घृतमारीयते तत्र पूर्णया नियुता यौ त्वमिन्द्रश्चाध्वरं यथास्तौ युवामध्वरं याथः ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (अति) अतिशये (वायो) वायुवद्बलवन् (ससतः) अविद्यामुल्लङ्घमानान् (याहि) (शश्वतः) सनातनविद्यायुक्तान् (यत्र) (ग्रावा) मेधावी (वदति) उपदिशति (तत्र) (गच्छतम्) प्राप्नुतम् (गृहम्) (इन्द्रः) (च) (गच्छतम्) (वि) (सूनृता) सुशिक्षिता सत्यप्रिया वाक् (ददृशे) दृश्यते (रीयते) श्लिष्यते सम्बध्यते (घृतम्) प्रदीप्तविज्ञानम् (आ) (पूर्णया) (नियुता) अखिलाङ्गयुक्तया वायोर्गतिवद्गत्या (याथः) प्राप्नुथः (अध्वरम्) अहिंसादिलक्षणं धर्मम् (इन्द्रः) ऐश्वर्ययुक्तः (च) (याथः) गच्छथः (अध्वरम्) यज्ञम् ॥ ७ ॥
Connotation: - मनुष्या यस्मिन्देशे स्थले वाऽऽप्ता विद्वांसः सत्यमुपदिशेयुस्तत्स्थानं गत्वा तदुपदेशं नित्यं शृणुयुः। येन विद्यावाणीं सत्यं विज्ञानं धर्मज्ञानं च प्राप्नुयुः ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या देशी व ज्या स्थानी शास्त्रवेत्ते, आप्त, विद्वान सत्याचा उपदेश करतात तेथे माणसांनी जावे व त्यांचा उपदेश नित्य ऐकावा, ज्यामुळे विद्यायुक्त वाणी, सत्यविज्ञान व धर्मज्ञान प्राप्त होईल. ॥ ७ ॥