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इ॒मे वां॒ सोमा॑ अ॒प्स्वा सु॒ता इ॒हाध्व॒र्युभि॒र्भर॑माणा अयंसत॒ वायो॑ शु॒क्रा अ॑यंसत। ए॒ते वा॑म॒भ्य॑सृक्षत ति॒रः प॒वित्र॑मा॒शव॑:। यु॒वा॒यवोऽति॒ रोमा॑ण्य॒व्यया॒ सोमा॑सो॒ अत्य॒व्यया॑ ॥

English Transliteration

ime vāṁ somā apsv ā sutā ihādhvaryubhir bharamāṇā ayaṁsata vāyo śukrā ayaṁsata | ete vām abhy asṛkṣata tiraḥ pavitram āśavaḥ | yuvāyavo ti romāṇy avyayā somāso aty avyayā ||

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Pad Path

इ॒मे। वा॒म्। सोमाः॑। अ॒प्ऽसु। आ। सु॒ताः। इ॒ह। अ॒ध्व॒र्युऽभिः॑। भर॑माणाः। अ॒यं॒स॒त॒। वायो॒ इति॑। शु॒क्राः। अ॒यं॒स॒त॒। ए॒ते। वा॒म्। अ॒भि। अ॒सृ॒क्ष॒त॒। ति॒रः। प॒वित्र॑म्। आ॒शवः॑। यु॒वा॒ऽयवः॑। अति॑। रोमा॑णि। अ॒व्यया॑। सोमा॑सः। अति॑। अ॒व्यया॑ ॥ १.१३५.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:135» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:25» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:20» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे परमऐश्वर्य्ययुक्त और (वायो) पवन के समान बलवान् ! जो (इमे) ये (इह) इस संसार में (अध्वर्युभिः) यज्ञ की चाहना करनेवालों ने (अप्सु) जलों में (सुताः) उत्पन्न की (सोमाः) बड़ी-बड़ी ओषधि (भरमाणाः) पुष्टि करती हुई तुम दोनों को (अयंसत) देवें और (शुक्राः) शुद्ध वे (अयंसत) लेवें वा जो (एते) ये (आशवः) इकट्ठे होते और (युवायवः) तुम दोनों की इच्छा करते हुए (सोमासः) ऐश्वर्य्ययुक्त (अव्यया) नाशरहित (अति, रोमाणि) अतीव रोमा अर्थात् नारियल की जटाओं के आकार (अति, अव्यया) सनातन सुखों के समान (तिरः) औरों से तिरछे (पवित्रम्) शुद्धि करनेवाले पदार्थों और (वाम्) तुम दोनों को (अभि, असृक्षत) चारों ओर से सिद्ध करें उनको तुम पीओ और अच्छे प्रकार प्राप्त होओ ॥ ६ ॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जिनके सेवन से दृढ़ और आरोग्ययुक्त देह और आत्मा होते हैं तथा जो अन्तःकरण को शुद्ध करते, उनका तुम नित्य सेवन करो ॥ ६ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ।

Anvay:

हे इन्द्र वायो य इम इहाध्वर्युभिरप्सु सुताः सोमा भरमाणा वामयंसत शुक्रा अयंसत य एते आशवो युवायवः सोमासोऽव्ययाऽतिरोमाण्यत्यव्ययेव तिरः पवित्रं वामभ्यसृक्षत तान् युवां पिबतं संगच्छेतां च ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (इमे) (वाम्) (सोमाः) महौषधयः (अप्सु) जलेषु (आ) (सुताः) (इह) अस्मिँल्लोके (अध्वर्युभिः) अध्वरं यज्ञमिच्छद्भिः (भरमाणाः) (अयंसत) यच्छेयुः (वायो) वायुवद्बलिष्ठ (शुक्राः) शुद्धाः (अयंसत) गृह्णीयुः (एते) (वाम्) युवाम् (अभि) आभिमुख्ये (असृक्षत) सृजेयुः (तिरः) तिरश्चीनम् (पवित्रम्) शुद्धिकरम् (आशवः) ये अश्नुवन्ति ते (युवायवः) युवामिच्छवः (अति) (रोमाणि) लोमानि (अव्यया) व्ययरहितानि (सोमासः) ऐश्वर्य्ययुक्ताः (अति) (अव्यया) नाशरहितानि सुखानि ॥ ६ ॥
Connotation: - हे मनुष्या येषां सेवनेन दृढाऽरोग्ययुक्ता देहात्मानो भवन्ति येऽन्तःकरणं शोधयन्ति तान् यूयं नित्यं सेवध्वम् ॥ ६ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! ज्यांचे सेवन केल्याने देह व आत्मा दृढ आणि आरोग्यवान होतात व जे अंतःकरण शुद्ध करतात त्यांचे तुम्ही नित्य सेवन करा. ॥ ६ ॥