Go To Mantra

तुभ्य॑मु॒षास॒: शुच॑यः परा॒वति॑ भ॒द्रा वस्त्रा॑ तन्वते॒ दंसु॑ र॒श्मिषु॑ चि॒त्रा नव्ये॑षु र॒श्मिषु॑। तुभ्यं॑ धे॒नुः स॑ब॒र्दुघा॒ विश्वा॒ वसू॑नि दोहते। अज॑नयो म॒रुतो॑ व॒क्षणा॑भ्यो दि॒व आ व॒क्षणा॑भ्यः ॥

English Transliteration

tubhyam uṣāsaḥ śucayaḥ parāvati bhadrā vastrā tanvate daṁsu raśmiṣu citrā navyeṣu raśmiṣu | tubhyaṁ dhenuḥ sabardughā viśvā vasūni dohate | ajanayo maruto vakṣaṇābhyo diva ā vakṣaṇābhyaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

तुभ्य॑म्। उ॒षसः॑। शुच॑यः। प॒रा॒वति॑। भ॒द्रा। वस्त्रा॑। त॒न्व॒ते॒। दम्ऽसु॑। र॒श्मिषु॑। चि॒त्रा। नव्ये॑षु। र॒श्मिषु॑। तुभ्य॑म्। धे॒नुः। स॒बः॒ऽदुघा॑। विश्वा॑। वसू॑नि। दो॒ह॒ते॒। अज॑नयः। म॒रुतः॑। व॒क्षणा॑भ्यः। दि॒वः। आ। व॒क्षणा॑भ्यः ॥ १.१३४.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:134» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:23» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:20» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कौन मनुष्य कल्याण करनेवाले होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्य ! जैसे (शुचयः) शुद्ध (उषासः) प्रातः समय के पवन (परावति) दूर देश में (दंसु) जिनमें मनुष्य मन का दमन करते उन (रश्मिषु) किरणों में और (नव्येषु) नवीन (रश्मिषु) किरणों में वैसे (तुभ्यम्) तेरे लिये (चित्रा) चित्र-विचित्र अद्भुत (भद्रा) सुख करनेवाले (वस्त्रा) वस्त्र वा ढाँपने के अन्य पदार्थों का (तन्वते) विस्तार करते वा जैसे (सबर्दुघा) सब कामों को पूर्ण करती हुई (धेनुः) वाणी (तुभ्यम्) तेरे लिये (विश्वा) समस्त (वसूनि) धनों को (दोहते) पूरा करती वा जैसे (अजनयः) न उत्पन्न होनेवाले (मरुतः) पवन (वक्षणाभ्यः) जो जलादि पदार्थों को बहानेवाली नदियों में (दिवः) प्रकाश के बीच (वक्षणाभ्यः) बहानेवाली किरणों से जल का (आ) अच्छे प्रकार विस्तार करते, वैसा तू हो ॥ ४ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य किरणों के समान न्याय के प्रकाश और अच्छी शिक्षा युक्त वाणी के समान वक्तृता बोल-चाल और नदी के समान अच्छे गुणों की प्राप्ति करते, वे समग्र सुख को प्राप्त होते हैं ॥ ४ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः के मनुष्याः कल्याणकरा भवन्तीत्याह ।

Anvay:

हे मनुष्य यथा शुचय उषासः परावति दंसु रश्मिषु नव्येषु रश्मिष्विव तुभ्यं चित्रा भद्रा वस्त्रा तन्वते। यथा सबर्दुघा धेनुर्वाक् तुभ्यं विश्वा वसूनि दोहते यथाऽजनयो मरुतो वक्षणाभ्य इव दिवो वक्षणाभ्यो जलमातन्वते तथा त्वं भव ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (तुभ्यम्) (उषासः) प्रभातवाताः। अत्रान्येषामपीति दीर्घः। (शुचयः) पवित्राः (परावति) दूरदेशे (भद्रा) कल्याणकराणि (वस्त्रा) वस्त्राण्याच्छादनानि (तन्वते) विस्तृणन्ति (दंसु) दाम्यन्ति जना येषु (रश्मिषु) किरणेषु (चित्रा) चित्राण्यद्भुतानि (नव्येषु) नवीनेषु (रश्मिषु) किरणेषु (तुभ्यम्) (धेनुः) वाणीः (सबर्दुघा) सर्वान् कामान् पूरयन्ति (विश्वा) सर्वाणि (वसूनि) धनानि (दोहते) प्रपिपर्त्ति (अजनयः) अजायमानाः (मरुतः) वायवः (वक्षणाभ्यः) वोढ्रीभ्यो नदीभ्यः (दिवः) प्रकाशस्य मध्ये (आ) समन्तात् (वक्षणाभ्यः) वहमानाभ्यः ॥ ४ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्या रश्मिवन्न्यायप्रकाशसुशिक्षितवाणीवद्वक्तृत्वं नदीवत् शुभगुणवहनं कुर्वन्ति तं समग्रं कल्याणमश्नुवते ॥ ४ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे किरणासारखा न्यायाचा प्रकाश व सुशिक्षित वाणीप्रमाणे वक्तृत्व व नदीप्रमाणे शुभगुणांचे वहन करतात. त्यांचे संपूर्ण कल्याण होते. ॥ ४ ॥