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त्वया॑ व॒यं म॑घव॒न्पूर्व्ये॒ धन॒ इन्द्र॑त्वोताः सासह्याम पृतन्य॒तो व॑नु॒याम॑ वनुष्य॒तः। नेदि॑ष्ठे अ॒स्मिन्नह॒न्यधि॑ वोचा॒ नु सु॑न्व॒ते। अ॒स्मिन्य॒ज्ञे वि च॑येमा॒ भरे॑ कृ॒तं वा॑ज॒यन्तो॒ भरे॑ कृ॒तम् ॥

English Transliteration

tvayā vayam maghavan pūrvye dhana indratvotāḥ sāsahyāma pṛtanyato vanuyāma vanuṣyataḥ | nediṣṭhe asminn ahany adhi vocā nu sunvate | asmin yajñe vi cayemā bhare kṛtaṁ vājayanto bhare kṛtam ||

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Pad Path

त्वया॑। व॒यम्। म॒घ॒ऽव॒न्। पूर्व्ये॑। धने॑। इन्द्र॑त्वाऽऊताः। स॒स॒ह्या॒म॒। पृ॒त॒न्य॒तः। व॒नु॒याम॑। व॒नु॒ष्य॒तः। नेदि॑ष्ठे। अ॒स्मिन्। अह॑नि। अधि॑। वो॒च॒। नु। सु॒न्व॒ते। अ॒स्मिन्। य॒ज्ञे। वि। च॒ये॒म॒। भरे॑। कृ॒तम्। वा॒ज॒ऽयन्तः॑। भरे॑। कृ॒तम् ॥ १.१३२.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:132» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:21» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:19» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर युद्ध समय में सेनापति क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (मघवन्) परम प्रशंसित बहुत धनवाले (इन्द्रत्वोताः) अतिउत्तम ऐश्वर्ययुक्त जो आप उन्होंने पाले हुए (वयम्) हम लोग (त्वया) आप के साथ (पूर्व्ये) अगले महाशयों ने किये (धने) धन के निमित्त (पृतन्यतः) मनुष्यों के समान आचरण करते हुए मनुष्यों को (सासह्याम) निरन्तर सहें (वनुष्यतः) और सेवन करनेवालों का (वनुयाम) सेवन करें तथा (भरे) रक्षा में (कृतम्) प्रसिद्ध हुए को (वाजयन्तः) समझाते हुए हम लोग (अस्मिन्) इस (यज्ञे) यज्ञ में तथा (भरे) संग्राम में (कृतम्) उत्पन्न हुए व्यवहार को (विचयेम) विशेष कर खोजें और (नेदिष्ठे) अति निकट (अस्मिन्) इस (अहनि) आज के दिन (सुन्वते) व्यवहारों की सिद्धि करते हुए के लिये आप सत्य उपदेश (नु) शीघ्र (अधिवोच) सबके उपरान्त करो ॥ १ ॥
Connotation: - सब मनुष्यों को चाहिये कि धार्मिक सेनापति के साथ प्रीति और उत्साह कर शत्रुओं को जीत के अति उत्तम धन का समूह सिद्ध करें और सेनापति समय-समय पर अपनी वक्तृता से शूरता आदि गुणों का उपदेश कर शत्रुओं के साथ अपने सैनिकजनों का युद्ध करावे ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्युद्धसमये सेनेशः किं कुर्यादित्याह ।

Anvay:

हे मघवन् इन्द्रत्वोता वयं त्वया सह पूर्व्ये धने पृतन्यतः सासह्याम। वनुष्यतो वनुयाम भरे कृतं विचयेम नेदिष्ठेऽस्मिन्नहनि सुन्वते त्वं सत्योपदेशं न्वधिवोच ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (त्वया) (वयम्) (मघवन्) परमपूजितबहुधनयुक्त (पूर्व्ये) पूर्वैः कृते (धने) (इन्द्रत्वोताः) इन्द्रेण त्वया पालिताः (सासह्याम) भृशं सहेम (पृतन्यतः) पृतना मनुष्या तानिवाचरतः (वनुयाम) संभजेम (वनुष्यतः) संभक्तान् (नेदिष्ठे) अतिशयेन निकटे (अस्मिन्) (अहनि) (अधि) उपरिभावे (वोच) उपदिश। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (नु) शीघ्रम् (सुन्वते) निष्पाद्यते (अस्मिन्) (यज्ञे) (वि) (चयेम) चिनुयाम। अत्राऽन्येषामपीति दीर्घः। (भरे) पालने (कृतम्) निष्पन्नम् (वाजयन्तः) ज्ञापयन्तः (भरे) संग्रामे। भर इति संग्रामनाम। निरु० ४। २४। (कृतम्) निष्पन्नम् ॥ १ ॥
Connotation: - सर्वैर्मनुष्यैर्धार्मिकेण सेनेशेन सह प्रीतिं विधायोत्साहेन शत्रून्विजित्य परश्रीनिचयः संपादनीयः सेनापतिश्च तात्कालीनवक्तृत्वेन शौर्यादिगुणानुपदिश्य शत्रुभिः सह सैन्यान् योधयेत् ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात राजधर्माचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागील सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - सर्व माणसांनी धार्मिक सेनापतीबरोबर प्रेमाने व उत्साहाने वागून शत्रूंना जिंकून अति उत्तम धनाचा संचय करावा व सेनापतीने वारंवार आपल्या वक्तृत्वाने शूरता इत्यादी गुणांचा उपदेश करून शत्रूंबरोबर आपल्या सैनिकाद्वारे युद्ध करवावे. ॥ १ ॥